MSME लोन के लिए करना है आवेदन तो स्टेप बाय स्टेप फॉलो करना होगा यह आसान प्रोसेस

कई सारे लोगों को लॉकडाउन के बीच अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में सरकार ने आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों के लिए लोन की प्रक्रिया भी शुरू की है। MSME लोन यानि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम लोन आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों को ही दिए जाते हैं। और, ख़ास बात यह है कि इस लोन की चुकौती का समय अलग-अलग-कर्जदाता के हिसाब से अलग-अलग होती है

कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लोगों को कई सारे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें मुश्किलों में सबसे मुख्य है, “नौकरी की समस्या” कई सारे लोगों को इस बीच अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में सरकार ने आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों के लिए लोन की प्रक्रिया भी शुरू की है।

MSME लोन यानि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम लोन आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों को ही दिए जाते हैं। और, ख़ास बात यह है कि इस लोन की चुकौती का समय अलग-अलग-कर्जदाता के हिसाब से अलग-अलग होती है। ब्याज दरों की पेशकश, आवेदक की प्रोफ़ाइल ? पिछले समय में व्यवसाय कैसा रहा है ? और, रीपेमेंट कैसा रहा है ? इस सभी बातों के आधार पर तय होती है।

बैंक और एनबीएफसी MSME लोन के लिए कुछ पात्रता मानदंड रखते हैं। वैसे MSME लोन को भी असुरक्षित लोन कहा जाता है। हाल ही में सरकार ने MSME की परिभाषा बदली है। अगर आप भी MSME लोन के लिए अप्लाई करना चाहते हैं तो आपको क्या करना चाहिए।

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जानिए ये आसान प्रोसेस

  1. सबसे पहले, MSME के रजिस्ट्रेशन के लिए नेशनल पोर्टल Udyogaadhaar.gov.in वेबसाइट पर जाएं।
  2. आधार नंबर, उद्यमी का नाम और डिटेल दर्ज करें, इसके बाद ओटीपी जनरेट करने वाले बटन पर क्लिक करें।
  3. आपके आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर पर एक OTP जाएगा। अपना OTP भरें और “Validate” पर क्लिक करें, इसके बाद आपको एक आवेदन फॉर्म दिखाई देगा।
  4. आवश्यक सभी डिटेल दर्ज करें।
  5. आवेदन पत्र में सभी आवश्यक डिटेल भरने के बाद “सबमिट” पर क्लिक करें।
  6. “सबमिट” बटन पर क्लिक करने के बाद, पेज पूछेगा कि क्या आपने सही तरीके से सभी डेटा दर्ज किया है। पुष्टि करने के लिए “ओके” पर क्लिक करें।
  7. उसके बाद, आपको फिर से आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी मिलेगा। ओटीपी भरें और आवेदन पत्र जमा करने के लिए “अंतिम सबमिट” पर क्लिक करें।
  8. अब आपको रजिस्ट्रेशन संख्या दिखेगा, इसे आगे के काम के लिए नोट कर लें।

लोन के आवेदन के लिए जरुरी दस्तावेज

  • पहचान प्रमाण के लिए आपको पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र की आवश्यकता होगी।
  • रेजिडेंस प्रूफ के लिए आपको पासपोर्ट, लीज एग्रीमेंट, ट्रेड लाइसेंस, टेलीफोन और बिजली बिल, राशन कार्ड और सेल्स टैक्स सर्टिफिकेट में से किसी एक की आवश्यकता होगी।
  • आयु प्रमाण के लिए पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, फोटो पैन कार्ड की जरुरत पड़ेगी।

MSME लोन के लिए जरुरी वित्तीय दस्तावेज

  1. पिछले 12 महीनों का बैंक स्टेटमेंट
  2. व्यवसाय रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
  3. प्रोपराइटर (एस) पैन कार्ड कॉपी
  4. कंपनी पैन कार्ड कॉपी
  5. पिछले 2 वर्षों की प्रॉफिट एंड लॉस की बैलेंस शीट कॉपी
  6. सेल टैक्स दस्तावेज
  7. नगर कर दस्तावेज़

कौन-कौन से बैंकों में है MSME लोन की सुविधा

  • भारतीय स्टेट बैंक
  • एचडीएफसी बैंक
  • इलाहाबाद बैंक
  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
  • आईसीआईसीआई बैंक
  • बजाज फिनसर्व
  • ओरिएंटल बैंऑफ इंडिया

आपको बता दें कि, 1 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की परिभाषा में बदलाव को मंजूरी दे दी गई है। इस बैठक के बाद से मध्यम उद्यमों के लिए टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये किया गया है।

इस बिज़नेस में होगी सालाना 10 लाख रुपए की कमाई, शुरुआत करने के लिए केंद्र सरकार की भी मिलेगी मदद

आज हम आपको ऐसे एक बिज़नेस के बारे में बता रहे हैं, जिसमें निवेश ज्यादा होने के साथ ही मुनाफा भी ज्यादा मिल रहा है। और, दूसरी बात यह है कि यह बिज़नेस MSME स्कीम से भी जुड़ा हुआ है मतलब इसके तहत बिज़नेस शुरु करने पर केंद्र सरकार से मदद भी मिलती है। सरकार से बिज़नेस स्ट्रक्चर के हिसाब से आपको इस बिज़नेस से सालाना 10 लाख रुपए तक प्रॉफिट हो सकता है।

देश भर में फैले कोरोना वायरस की वजह से कई सारे लोगों को अपना रोज़गार गंवाना पड़ा है। ऐसी स्थिति में लोगों के बीच अब खुद की रोजगार की ललक बढ़ती दिखाई दे रही है। और हो भी क्यूं ना। दरअसल, बिजनेस एक ऐसा पेशा है जिसका क्रेज हर जमाने में लोगों के बीच रहा है। चूंकि, किसी भी बिजनेस को शुरु करने में सबसे पहले निवेश की जरुरत पड़ती है इसलिए आपके मन में भी यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर पैसे कितने लगेगें ? और, मुनाफा कितना होगा ? तो घबराईए नहीं, हम आपके इन सभी सवालों का जवाब लेकर आये हैं।

अन्य देशों की तरह भारत में भी बीते कुछ सालों से युवाओं के बीच नौकरी की छोड़कर स्टार्ट अप अपना खुद का बिज़नेस शुरु करने का क्रेज देखा गया है। जैसा कि आप भी जानते होंगे कि किसी भी कारोबार को शुरु करने में होने वाले निवेश और उससे आने वाली मुनाफे की खासी अहमियत होती है।

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आज हम आपको ऐसे एक बिज़नेस के बारे में बता रहे हैं, जिसमें निवेश ज्यादा होने के साथ ही मुनाफा भी ज्यादा मिल रहा है। और, दूसरी बात यह है कि यह बिज़नेस MSME स्कीम से भी जुड़ा हुआ है मतलब इसके तहत बिज़नेस शुरु करने पर केंद्र सरकार से मदद भी मिलती है। सरकार से बिज़नेस स्ट्रक्चर के हिसाब से आपको इस बिज़नेस से सालाना 10 लाख रुपए तक प्रॉफिट हो सकता है।

शुरू करें यह बिजनेस

जैसा कि आप जानते है, भारत में इस समय ट्रेंडी और स्टाइलिस फुटवियर की डिमांड काफी बढ़ी हुई है। फुटवियर की बढ़ती डिमांड के बीच इस सेक्टर में आप अच्छा करियर बना सकते हैं। मतलब, आप फुटवियर की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इस बिज़नेस में पॉजिटिव बात यह है कि, डिमांड काफी रहने से आपका कारोबार सफल होने की उम्मीद भी ज्यादा है। इतना ही नहीं, इसमें खास बात है कि इस बिजनेस के लिए सरकार अपनी मुद्रा स्कीम के तहत कारोबारियों को सपोर्ट भी कर रही है।

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बिजनेस कॉस्ट को समझिए

आइए समझते हैं, फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस शुरू होने में पूरा खर्च तो वैसे 41.32 लाख रुपए आंका गया है। लेकिन, घबराने की जरुरत नहीं है क्यूँकि इसमें से आपको खुद के पास से सिर्फ 16.32 लाख रुपए ही निवेश करना होगा।

जमीन- 4 लाख रुपए
बिल्डिंग- 8 लाख रुपए
प्लांट एंड मशीनरी- 19,85,990 रुपए
इलेक्ट्रिफिकेशन- 96,610 रुपए
प्री ऑपरेशन खर्च- 35,000 रुपए
अन्य खर्च- 33,000 रुपए
वर्किंग कैपिटल- 7,81,450 रुपए
कुल- 41,32,050 रुपए

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लोन देकर सपोर्ट करेगी सरकार

वर्किंग कैपिटल लोन – 3 लाख रुपए
टर्म लोन – 22 लाख रुपए

ये सरकारी लोन मुद्रा स्कीम के तहत किसी भी बैंक से आसानी से हो जाएगा।

जानिए कैसे होगा प्रॉफिट

16.32 लाख रुपए के निवेश पर जो एस्टीमेट तैयार किया गया है, उस लिहाज से मंथली टर्नओवर 9,07,050 रुपए हो सकता है।

कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन – 8,26,080 रुपए मंथली
नेट प्रॉफिट – 80,970 रुपए मंथली
सालाना बिक्री – 108.90 लाख रुपए
सालाना प्रॉफिट – 9.72 लाख रुपए

छात्रों को घर बैठे आसानी से शिक्षा उपलब्ध करा रहा पॉकेट स्टडी एप

पॉकेट स्टडी एक मोबाइल ऐप आधारित पढ़ाने और सीखने का ऑनलाइन प्लेटफार्म है। यहां एक तरफ जहां, शिक्षक कंटेंट को ऑडियो फ्लैशकार्ड, वीडियो और लर्निंग मेटेरियल के रूप में शेयर कर सकते हैं। वहीँ, दूसरी तरफ छात्र ऐप के माध्यम से किसी भी समय इस लर्निंग मेटेरियल का उपयोग कर सकेंगे

जब तक कोरोना का वैक्सीन ना बन जाए तब तक तो कोरोनावायरस की स्थिति कभी ना ख़त्म होने जैसी ही लगती है। इस दौरान, वर्चुअल एजुकेशन दुनिया भर में काफी बड़ी चीज होने वाली है। मतलब, ई-लर्निंग इस उद्योग के लिए बहुत बड़ा लाभ साबित होने वाला है।

इसी तरह का एक मोबाइल ऐप है पॉकेट स्टडी, जो ई-लर्निंग अनुभव को बढ़ाने और छात्रों व शिक्षकों के बीच के अंतर को कम करने के लिए काम कर रहा है।

पॉकेट स्टडी क्या है ?

पॉकेट स्टडी एक मोबाइल ऐप आधारित पढ़ाने और सीखने का ऑनलाइन प्लेटफार्म है। यहां एक तरफ जहां, शिक्षक कंटेंट को ऑडियो फ्लैशकार्ड, वीडियो और लर्निंग मेटेरियल के रूप में शेयर कर सकते हैं। वहीँ, दूसरी तरफ छात्र ऐप के माध्यम से किसी भी समय इस लर्निंग मेटेरियल का उपयोग कर सकेंगे। इन मेटेरियल के साथ-साथ, पढाई को और आसान बनाने के लिए इस प्लेटफॉर्म पर छात्रों के लिए वर्चुअल क्लासेज भी आयोजित की जा रही हैं।

इस पहल के पीछे के लोगों को जानिए 

पॉकेट स्टडी की स्थापना रचित दवे, रुतविज वोरा और राज कोठारी ने की है। ये तीनों संस्थापक बिड़ला विश्वकर्मा महाविद्यालय, आनंद (गुजरात) से इंजीनियरिंग स्नातक हैं। पॉकेट स्टडी को लॉन्च करने से पहले, इन्होंने MyClassCampus को भी लॉन्च किया है, जो शिक्षण संस्थानों को डिजिटल होने में मदद करने के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम है।

दूसरे प्रोडक्ट से कैसे अलग है पॉकेट स्टडी?  जानिए इसके ख़ास उपलब्धि

बाजार में इस तरह के कई ट्रेडिशनल शिक्षण प्रबंधन प्रणालियां हैं। हालाँकि, पॉकेट स्टडी का उद्देश्य मोबाइल ऐप्स के माध्यम से लर्निंग मेटेरियल को सबसे आसान और प्रभावी तरीके से बनाना और साझा करना है। इसमें शॉर्ट रिवीजन केंद्रित फ्लैशकार्ड बनाने के लिए एक दिलचस्प ऑडियो तकनीक है जो ई-शिक्षा उद्योग में भी अद्वितीय है। इसके अलावा, एक दिलचस्प इंटरैक्टिव वर्चुअल क्लासरूम मॉड्यूल है जहां शिक्षक लाइव इंटरेक्टिव कक्षाएं ले सकते हैं।

आजकल देश और दुनिया में कोरोनावायरस की वजह से स्कूल और कोचिंग क्लासेस ऑनलाइन शिक्षण के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं जो कि मुख्य रूप से शैक्षिक संस्थान केंद्रित नहीं हैं इसलिए अंततः MyClassCampus ने हर प्रकार के शिक्षण संस्थानों के लिए ऑनलाइन शिक्षण टूल का विकसित करने की कोशिश की है जहाँ शिक्षक ऑडियो के रूप में लर्निंग मेटेरियल अपलोड कर सकते हैं। इतना ही नहीं, इस टूल में वीडियो, फ्लैशकार्ड के अलावा शिक्षक लाइव कक्षाएं भी ले सकते हैं। मीटिंग आईडी और पासवर्ड साझा करने की कोई परेशानी नहीं है, यहां तक ​​कि ऑनलाइन लेक्चर वीडियो भी रिकॉर्ड किए जा सकते हैं और छात्रों के साथ शेयर भी किए जा सकते हैं यदि किसी ने क्लास या लेक्चर मिस किया हो।

MyClassCampus – ऑनलाइन शिक्षण के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर

पॉकेट स्टडी के आईडिया को जमीनी स्तर पर लाने के पीछे क्या विचार था? क्या कोई चुनौतियां थीं?

पॉकेट स्टडी के आईडिया को जमीनी स्तर पर लाने के लिए उनके दिमाग में कई विचार आए। हालांकि, ये तीनों फाउंडर एक ऐसा प्लेटफार्म का निर्माण करना चाहते थे, जो शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों के लिए एक आसान और सुलभ हो और एजुकेशन एप्लिकेशन के बीच पसंदीदा हो। यह विचार एक ऐसा प्लेटफॉर्म लाने का था जो क्विक क्वालिटी रिवीजन सेंट्रिक कंटेंट हो और हर जगह उपयोग किया जा सके।

फाउंडर कहते हैं कि,

“हमलोग कुछ ऐसा प्लेटफार्म बनाना चाहते थे जो टीचर्स के लिए कंटेंट बनाने और शेयर करने में आसान हो। आसान और इंटरेस्टिंग इंटर्फ़ेस के साथ एक मापनीय तकनीक का निर्माण सबसे बड़ी चुनौती थी। हालांकि, अत्यधिक मेहनत और लाखों यूजर्स की मदद की चाह ने इसे संभव बनाया। “

क्या फिलहाल किसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?

मूल रूप से, भारत में लाखों शैक्षणिक संगठन हैं। सीमित मार्केटिंग बजट और छोटे कंपनी होने के नाते कई पोटेंशियल यूज़र्स तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है। फिलहाल, हमारी एकमात्र चुनौती देश भर में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने और छात्रों की मदद करने में सक्षम होना है।

पॉकेट स्टडी अस्तित्व में कैसे आई?

“शैक्षिक संगठनों को MyClassCampus को बढ़ावा देने के दौरान, हमने महसूस किया कि शिक्षक छात्रों के साथ लर्निंग मेटेरियल को साझा करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिए उनके पास उचित रूप से व्यवस्थित प्लेटफॉर्म की पहुंच नहीं है। वे जरुरी सामग्री साझा करने के लिए Google ड्राइव, व्हाट्सएप या ईमेल का उपयोग करते हैं। ” जबकि, छात्रों के पास वीडियो प्लेटफ़ॉर्म सीखने आदि की पहुंच है। लेकिन वो लर्निंग मेटेरियल लंबे हैं और किसी ख़ास फॉर्मेट में है। इस प्रकार, वे क्विक रिवीजन की जरूरतों आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाते हैं।

इसलिए, इस गैप को ख़त्म करने के लिए यह प्लेटफार्म इस समय की ज़रूरत थी। इसके लिए, कोविड-19 लॉकडाउन से पहले ही काम शुरू किया गया था। आगे उन्होंने कहा कि,

“कोविड के दौरान होने वाली लॉकडाउन ने हमारे कॉन्फिडेंस को बूस्ट किया और हमने इसके लिए जीतोड़ मेहनत किया और इस अप्रैल के महीने में लॉन्च किया। हमलोग के लिए आश्चर्य की बात तो तब हुई जब दो सप्ताह के भीतर ही इस हम 25,000 यूज़र्स को क्रॉस कर गए, और साप्तहिक 3 लाख से अधिक एप डाउनलोड होने लगे।”

पॉकेट स्टडी इस लॉकडाउन अवधि में छात्रों के लिए एक वरदान रही है और उम्मीद है कि भविष्य में भी इसी तरह से आश्चर्यजनक रूप से काम करती रहेगी।

कंपनी का नाम: हेक्सागॉन इन्नोवेशंस प्रा. लि.

प्रोडक्ट का नाम:

1.माय क्लास कैंपस: स्कूल / इंस्टिट्यूट मैनेजमेंट के लिए सभी कुछ एक ही ईआरपी सॉफ्टवेयर में
2. पॉकेट स्टडी: आसानी से पढ़ने और सीखने वाली एप

प्लेस्टोर लिंक: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.myclasscampus.pocketstudy

वेबसाइट लिंक: https://pocketstudy.app/product

1. माय क्लास कैंपस: https://www.myclasscampus.com
2. पॉकेट स्टडी: https://pocketstudy.app

Indiabulls: 21 करोड़ डोनेट किया तो 2000+ कर्मचारियों को निकाला क्यूं?, सोशल मीडिया पर विरोधों की बौछार

हाउसिंग फाइनेंस कंपनी इंडियाबुल्स ने पीएम केयर फंड में 21 करोड़ रुपये डोनेट की है। चलिए, ये तो अच्छी बात है लोगों को पीएम केयर फंड में दान करना भी चाहिए। दरअसल खबर यह नहीं है, खबर है कि इसके बाद कंपनी ने अपने लगभग 2,000 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है, वो भी बिना किसी नोटिस के।

हाउसिंग फाइनेंस कंपनी इंडियाबुल्स ने पीएम केयर फंड में 21 करोड़ रुपये डोनेट की है। चलिए, ये तो अच्छी बात है लोगों को पीएम केयर फंड में दान करना भी चाहिए। दरअसल खबर यह नहीं है, खबर है कि इसके बाद कंपनी ने अपने लगभग 2,000 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है, वो भी बिना किसी नोटिस के। आप भी यही सोच रहे होंगे ना कि 21 करोड़ डोनेट किया तो 2000+ कर्मचारियों को निकाला क्यूं? यदि कर्मचारी को सैलरी देने के पैसे नहीं थे तो 21 करोड़ डोनेट क्यूं किया ?

Indiabulls_Forcing__For_Resign हैशटैग के साथ निकाले गए एक कर्मचारी ने लिखा कि, वायरस से पहले टेंशन और डिप्रेशन ही वैसे कर्मचारियों को मार देगा जो बिना किसी क्लैरीफिकेशन और नोटिस के वॉट्सएप्प कॉल पर कंपनी से निकाले गए हैं। इस कोरोना काल में कंपनियों के अमानवीय बर्ताव के कारण ही लोग अपने होमटाउन लौट रहे हैं।

#indiabullsHarashing के साथ एक अन्य कर्मचारी ने लिखा कि, आज हमलोग को कंपनी मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है। बिना किसी भी सूचना कंपनी से यह कहते हुए कि मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, मैं अगले महीने से वेतन देने में असमर्थ हूं…. मानसिक रूप से हमें परेशान कर रहे हैं।”

Swigyy अब खाने की तरह शराब की भी कर रही होम डिलीवरी, ऑर्डर करने से पहले जान लें ये बातें

शराब पीना है लेकिन कोरोना की वजह से बाहर नहीं जाना चाहते हैं। जी हां, अब बिलकुल ऐसा सोच सकते हैं आप। अब ग्राहक घर बैठे ऑनलाइन शराब के लिए ऑर्डर कर सकते हैं और चंद मिनटों में शराब आपके घर पर पहुँच जायेगी। क्यूँकि, फूड ऑर्डरिंग व डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (Swiggy) ने गुरुवार से शराब की भी होम डिलीवरी शुरु कर दी है।

शराब पीना है लेकिन कोरोना की वजह से बाहर नहीं जाना चाहते हैं। जी हां, अब बिलकुल ऐसा सोच सकते हैं आप। अब ग्राहक घर बैठे ऑनलाइन शराब के लिए ऑर्डर कर सकते हैं और चंद मिनटों में शराब आपके घर पर पहुँच जायेगी। क्यूँकि, फूड ऑर्डरिंग व डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (Swiggy) ने अब शराब की भी होम डिलीवरी शुरु कर दी है।

दरअसल, स्विगी ने गुरुवार को जानकारी दी कि, कंपनी अब शराब की होम डिलीवरी भी करेगी। कंपनी ने गुरुवार से झारखंड के रांची शहर में यह सेवा शुरू कर दी है। स्वि​गी का दावा है कि, इसके लिए उसे राज्य सरकार से भी जरूरी मंजूरी मिल गई है।

दूसरे राज्यों में भी जल्द शुरु होगी शराब की होम डिलीवरी

स्विगी ने एक बयान में कहा कि, “रांची में घरों तक शराब की आपूर्ति का काम शुरू हो गया है, राज्य के अन्य शहरों में भी एक सप्ताह के भीतर यह काम शुरू हो जाएगा। दूसरे राज्यों में ‘ऑनलाइन ऑर्डर’ पूरा करने और उसकी ‘होम डिलीवरी’ के लिए संबंधित राज्य सरकारों से भी बातचीत कर रही है।

ऑर्डर करने से पहले करने होंगे ये वेरिफिकेशन

शराब की होम डिलीवरी को लेकर जरुरी नियमों के पालन और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने कई उपाय किये हैं। शराब की होम डिलीवरी के लिए आपको पहले उम्र वेरिफिकेशन और अन्य कई ऑथेन्टिकेशन करने होंगे। इतना ही नहीं, ग्राहकों को पहले अपने वैलिड पहचान पत्र की एक कॉपी अपलोड कर उम्र की वेरिफिकेशन करानी होगी। इसके बाद उन्हें एक सेल्फी भेजनी होगी, जिसे कंपनी आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस सिस्टम (AI Systems) के जरिए वेरिफाई करेगी।

नियमों के मुताबिक ही कर सकेंगे शराब का ऑर्डर

इस सुविधा का लाभ लेने के लिए रांची में कस्टमर्स अपने स्विगी ऐप में ‘Wine Shops’ कैटेगरी में जाकर ऑर्डर कर सकते हैं। सभी ऑडर्स के साथ एक OTP भी दिया जाएगा, जिसे डिलीवरी के समय पर वेरिफाई करना होगा। इसके अलावा, ऑर्डर की ​क्वांटिटी को लेकर भी कैपिंग की सुविधा है ताकि कोई ग्राहक जरूरी प्रावधानों से अधिक शराब न खरीद सके। हालांकि, यह राज्यों द्वारा तय नियमों के आधार पर होगा।

आपको बता दें कि, कंपनी किराना सामानों और कोविड-19 राहत उपायों का दायर बढ़ाने जैसी पहल के लिये पहले से ही स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है। Swiggy द्वारा दिए गए बयान के मुताबिक़, कंपनी के पास प्रौद्योगिकी और ढांचागत सुविधा है जिससे वह छोटे-छोटे गली-मोहल्ले में भी सामानों की आपूर्ति कर सकती है। स्विगी ने स्पष्ट किया है कि, राज्य सरकारों के दिशानिर्देश के अनुसार लाइसेंस और अन्य जरूरी दस्तावाजों का सत्यापन करने के बाद ही अधिकृत खुदरा दुकानदारों के साथ यह गठजोड़ किया गया है।

लॉकडाउन में रेल के बाद अब फ्लाइट को भी मिली हरी झंडी लेकिन नहीं लें फ्लाइट टिकट, ये हैं 5 बड़ी वजहें

लॉकडाउन 4.0 में केंद्र सरकार ने भारी दबाव के बीच अब डोमेस्टिक फ्लाइट सेवा को भी मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि, अगले सोमवार से फ्लाइटें दोबारा शुरू करने की घोषणा कर दी गई है। केंद्र सरकार का यह फैसला अलग-अलग राज्यों में फंसे लोगों के लिए राहत भरी खबर है। लेकिन, इस बीच एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समय फिलहाल फ्लाइटों में नहीं जाना ही एक सही कदम है।

लॉकडाउन 4.0 में केंद्र सरकार ने भारी दबाव के बीच अब डोमेस्टिक फ्लाइट सेवा को भी मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि, अगले सोमवार यानी 25 मई से फ्लाइटें दोबारा शुरू करने की घोषणा कर दी गई है। केंद्र सरकार यह फैसला अलग-अलग राज्यों में फंसे लोगों के लिए राहत भरी खबर है। फंसे लोगों के अलावा, लॉकडाउन में फंसे कई अन्य लोग भी अपने आपको तरोताजा करने के लिए भी अब दूसरे शहरों में जाने की योजना बना रहे होंगे। लेकिन, इस बीच एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समय फिलहाल फ्लाइटों में नहीं जाना ही एक सही कदम है।

5 बड़ी वजहें जो आपको अपने प्लान पर दोबारा सोचने पर मजबूर कर देगी..

1. दिल्ली से बेंगलुरु का किराया लंदन के किराए बराबर

देश की एक बड़ी ट्रैवल वेबसाइट के अनुसार इस समय आपको दिल्ली से बेंगलुरु जाने के लिए फ्लाइट में 20 हजार रुपये से भी ज्यादा किराया देना पड़ेगा। किसी सामान्य दिन में इस कीमत पर आप दिल्ली से लंदन की फ्लाइट बुक करा सकते हैं। एक टूर ऑपरेटर के मुताबिक शुरूआती पहले हफ्ते में ज्यादातर फ्लाइटों की कीमत चार गुना से भी ज्यादा हो सकती है। सामान्य दिनों में दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट 2-5 हजार में बड़ी आसानी से मिल जाती है। लेकिन 25 मई को इस रूट का किराया 17 हजार से ज्यादा बताया जा रहा है।

2. सबसे ज्यादा एयरपोर्ट से ही फैला कोरोना वायरस

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस को फैलाने में एयरपोर्ट्स की भूमिका सबसे ज्यादा रही है। एयरपोर्ट में हर तरह के लोग आते हैं, ऐसा तो है नहीं की किसी के कपड़ों और चेहरे से कोरोना वायरस मुक्त होने की गारंटी दी जा सकती है। इसलिए, ऐसे में सबसे ज्यादा वायरस एयरपोर्ट से फैलने की संभावना बनी रहती है।

3. सोशल डिस्टेंसिंग नहीं

पहले ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि लॉकडाउन के बीच अगर फ्लाइट सेवा शुरु होती है तो उसमें बीच वाली सीट को खाली रखा जाएगा ताकि सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे और यात्रियों को संक्रमण से बचाया जा सकेगा। लेकिन, बुधवार रात केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि, फ्लाइटों में बीच की सीट खाली छोड़ने का सवाल ही नहीं है। ऐसे में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि, 2-3 घंटे की फ्लाइट में यात्रियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से खिलवाड़ होना लाजमी है या नहीं।

4. एयरपोर्ट से घर के बीच ट्रांसपोर्ट एक समस्या

अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो शायद आपको एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए कैब की सुविधा मिल जाए लेकिन ये जरूरी नहीं है कि जहां आप जाना चाह रहे हैं वहां भी ट्रांसपोर्ट की सुविधा होगी। बता दें कि, अभी तक देश के किसी भी राज्य ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में आपको एयरपोर्ट से घर पहुंचने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

5. एयरपोर्ट में होगी खासी दिक्कत

दिल्ली एयरपोर्ट के अधिकारियों का कहना है कि, यात्रियों की सुविधा और कोरोना संक्रमण मुक्त रखने के लिए एयरपोर्ट प्राधिकरण ने पूरी तैयारी कर ली है। मतलब, सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए एंट्री से लेकर बोर्डिंग पास तक की लाइन में 6 मीटर की दूरी का नियम तय किया गया है। इसका मतलब साफ़ है कि आपको एयरपोर्ट पर फ्लाइट तक पहुंचने में अच्छी खासी परेशानी होने वाली है।

एक्सपर्ट्स द्वारा कयास लगाए गए इन सभी वजहों पर विचार कीजिए और उसके बाद ही टिकट बुकिंग की प्रकिया को पूरा कीजिए।

लोकल को वोकल: जल्द ही लॉन्च होगा पतंजलि का यह एप, सामान डिलीवरी के अलावा यह सुविधाएं भी रहेगी फ्री

योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद, स्वदेशी वस्तुओं को बेचने के लिए अपना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Order Me’ लॉन्च करने के लिए तैयार है। पतंजलि के इस एप के लॉन्च होने के बाद माना जा रहा है कि, फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को झटका लग सकता है। उम्मीद है कि, अगले 15 दिनों के भीतर पतंजलि अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Order Me’ को लॉन्च कर देगी।

योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद, स्वदेशी वस्तुओं को बेचने के लिए अपना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Order Me’ लॉन्च करने के लिए तैयार है। कहा जा रहा है कि अगले 15 दिनों के भीतर पतंजलि अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Order Me’ को लॉन्च कर देगी।

मीडिया में आ रही रही रिपोर्ट्स के मुताबिक़, यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म 800 से अधिक पतंजलि उत्पादों की बिक्री करेगा और उपभोक्ता को भारतीय उत्पादों को बेचने वाले पड़ोस के स्टोरों से जोड़ेगा।

यही नहीं, रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी उत्पादों की डिलीवरी फ्री रहेगी और इस कुछ घंटों के भीतर ही डिलीवर किया जाएगा। इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए कस्टमर्स पतंजलि और योग ट्यूटोरियल के लगभग 1,500 डॉक्टरों से 24X7 मुफ्त चिकित्सा सलाह भी ले पाएंगे।

पतंजलि द्वारा लिया गया यह फैसला, मोदी जी के आत्मनिर्भर वाली बात कहे जाने के बाद ही लिया गया है। आपको याद होगा कि, 12 मई को देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी द्वारा देश में स्थानीय उत्पादों को खरीदने और समर्थन करने का आग्रह करने के लिए कहा गया था। उन्होंने राष्ट्र से ‘लोकल को वोकल’ करने की भी अपील की थी। साथ ही मोदी ने कहा था कि, देश में बन रहे (जैसे खादी) उत्पादों को ही खरीदें।

पतंजलि के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ऐप को नई दिल्ली स्थित पतंजलि की ही सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी भरुवा सॉल्यूशंस में डेवलप किया गया है और इसे एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफार्मों पर उपलब्ध कराया जाएगा।

पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव आचार्य बालकृष्ण के हवाले से कहा गया है कि, घरेलू उत्पादों की आपूर्ति करने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को भी इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने और इससे लाभान्वित होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

आपको बता दें कि, दो साल पहले पतंजलि ने ‘स्वदेशी’ कपड़ों के साथ ब्रांडेड परिधान स्थान में प्रवेश किया था। उस समय, कंपनी ने अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने के लिए पेटीएम, फ्लिपकार्ट, अमेज़ॅन और 1mg सहित कई ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ भागीदारी की थी। मालुम हो कि, इस समय कंपनी 45 प्रकार के कॉस्मेटिक उत्पादों और 30 प्रकार के खाद्य उत्पादों सहित 2,500 से अधिक उत्पादों का मैन्युफैक्चरिंग करती है।

स्टार्टअप कहानी: पति का वजन घटाकर आया आईडिया, अब दूसरों को घर बैठे वजन घटाने में मदद कर रही यह हेल्थ स्टार्टअप

आयुषी ने अपने पति के लिए कुछ न्यूट्रिशियस खाना तैयार की और उस भोजन की मदद से केवल 28 दिनों के भीतर ही उनका 10 किलो वजन कम हो गया। इसी के बाद दोनों को एहसास हुआ उनका यह आईडिया लोगों को पौष्टिक भोजन खाने से वजन कम करने में काफी मदद कर सकता है।

इस हेल्थ स्टार्टअप की कहानी कुछ ऐसी है जिसे जानकार आप भी इसे अपनाने को उत्सुक हो जाएंगे। दरअसल, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट आयुषी लखपति के पति कुणाल लखपति को तेज-तर्रार जीवन पसंद था जो कि लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप लॉजीनेक्स्ट में काम करने के साथ उनमें आया। लेकिन, तेजी से बढ़ती कंपनी के साथ काम करने का मतलब था रातों की नींद हराम करना, तनाव, और डेडलाइन पर काम करना। जिसका अर्थ था अनहेल्दी भोजन की आदतें और व्यायाम के लिए समय नहीं। इन सब की वजह से कुणाल का वजन बढ़ गया।

फिर, फिट होने के लिए कुणाल ने अपनी पत्नी और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट आयुषी लखपति की मदद ली। उस समय, आयुषी अधिक स्वस्थ और मजबूत बनने के तरीके के रूप में भोजन के रिप्लेसमेंट उत्पादों का उपयोग करने पर काम ही कर रही थी।

“मैंने बोला कि, आयुषी मैं अपना वजन कम करना चाहता हूँ लेकिन समय की कमी के कारण जिम नहीं जा पा रहा। मैंने उसे गाइड करने के लिए भी कहा क्योंकि मुझे न्यूट्रिशन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। और, मैं घर का खाना अपने साथ नहीं ले जा सकता था क्यूंकि मैं हमेशा यात्रा पर ही रहता था, ” – कुणाल लखपति

आयुषी ने अपने पति के लिए कुछ न्यूट्रिशियस खाना तैयार की और उस भोजन की मदद से केवल 28 दिनों के भीतर, कुणाल ने 10 किलो वजन कम हो गया। इसी के बाद दोनों को एहसास हुआ उनका यह आईडिया लोगों को केवल पौष्टिक भोजन खाने से वजन कम करने में मदद कर सकता है। जिसके बाद उन्होंने मुंबई में एक फ़ूड रिप्लेसमेंट प्रोडक्ट कंपनी, 23BMI की स्थापना की।

क्या करता है 23BMI?

23BMI मुख्य रूप से दिन के भोजन को बदलने वाले खाद्य उत्पादों को बेचती है। ये उत्पाद अनुकूलन योग्य हैं। इसे किसी व्यक्ति के ख़ास आहार के आवश्यकताओं के अनुसार बदला जा सकता है।

इन उत्पादों को सर्टिफाइड फैट लॉस एक्सप आयुषी द्वारा बनाया गया है। आयुषी पहली पीढ़ी के उद्यमियों के परिवार से ताल्लुक रखती है। स्वास्थ्य और फिटनेस में उनकी रुचि के कारण उन्हें डॉ हॉवर्ड वे (ब्रिटेन के स्वास्थ्य सेवा वेंचर) के भारत के व्यवसाय में शामिल होने का भी अवसर मिला।

किंग्स्टन यूनिवर्सिटी, लंदन से आंतरिक व्यवसाय में ग्रेजुएट और मुंबई विश्वविद्यालय से फ़ूड और न्यूट्रिशन से सर्टिफिकेट होल्डर आयुषी लखपति 23BMI में नए उत्पादों के विकास और कस्टमर रिलेशनशिप के लिए जिम्मेदार है। वह अपनी कंपनी के तेजी से बढ़ते कस्टमर आधार के लिए नए समाधानों के साथ भी आती है। फ़ूड रिप्लेसमेंट उत्पाद बनाने के अलावा, 23BMI के मंच पर न्यूट्रिशन विशेषज्ञों का एक समुदाय है जो फ़ूड रिप्लेसमेंट उत्पादों की अलग-अलग लाइनों को क्यूरेट करता है और कंपनी के ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर ग्राहकों के साथ जुड़ता है।

स्टार्टअप के रास्ते में आने वाली चुनौतियां

लॉन्चिंग से पहले इस कंपनी को जरुरी सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए भरोसेमंद मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स की पहचान करना और मानव परीक्षणों को कंडक्ट करना कंपनी द्वारा सामना की जाने वाली मुख्य चुनौतियों में से एक है।

इस दौरान, स्टार्टअप ने यह भी पाया कि हर कोई नए उपभोग्य स्वास्थ्य उत्पादों की कोशिश करने के लिए नहीं खुला है, जब तक कि उन्हें रिकमेंड नहीं किया जाता है।

“कई सारे प्रोडक्ट आधारित कंपनियां कॉन्सेप्चुअल स्टेज में ही ऑपरेशन स्टार्ट कर सकती है, बिना पूर्ण विकसित हुए , या फिर सिर्फ आंशिक रूप से विकसित उत्पाद के साथ ही संचालन शुरू कर सकती है। लेकिन, उपभोक्ता स्वास्थ्य सेवा में यह संभव नहीं है” – कुणाल

“हमें बी 2 सी वातावरण में तेजी से स्केलिंग की चुनौती को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में कस्टमर्स तक पहुंचने के लिए सही मार्केटिंग चैनल का चयन करना पड़ा। हम सही भागीदारों की पहचान कर सके जिन्होंने उत्पाद विकास के फेज को गति देने प्रोडक्ट को लॉन्च करने में हमारी मदद की।” – कुणाल

कंपनी ने इसके लिए कई फीडबैक चैनलों को प्रोडक्ट लाइन को सही रखने के लिए प्रेरित किया, और लगातार सुपरविजन करके स्वास्थ्य कोचों और ग्राहकों के बीच एक मजबूत, 24/7 संचार नेटवर्क स्थापित किया।

फिटनेस के लिए अपने तरीके से खाएं

नियमित रूप से सेवन करने के बाद 23BMI के भोजन रिप्लेसमेंट उत्पात की पूरी प्रक्रिया एक व्यक्ति को एक महीने में आठ किलोग्राम तक वजन घटाने में मदद कर सकती है, और यह काम कंपनी के स्वास्थ्य कोचों के सावधानी पूर्वक मार्गदर्शन में किया जाता है।

“हमने 200 से अधिक ग्राहकों को जिम जाने के बिना वजन कम करने में मदद की है। इससे रिवर्स्ड टाइप II डायबिटीज, पीसीओडी और थायराइड की चिंताओं को काफी कम कर दिया है” – कंपनी का दावा

भोजन की संख्या और कार्यक्रम की अवधि के आधार पर इस पैकेज की लागत 15,000 रुपये से 45,000 रुपये के बीच है।

मार्केट और इस कंपनी का भविष्य

FICCI और EY के अनुमान के मुताबिक, वेलनेस इंडस्ट्री में 2020 के अंत तक 1.5 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और अगले पांच वर्षों में 12 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।

रिसर्च में कहा गया है कि, यह संभावित वृद्धि डिस्पोजेबल आय में वृद्धि और जीवनशैली से संबंधित बीमारियों में काफी वृद्धि से प्रेरित होगी।

यह आंकड़े 23BMI जैसी वाली कंपनी के लिए उत्साहजनक हैं, जिसने 2018 की शुरुआत से ही मासिक आधार पर लगभग 20 प्रतिशत वृद्धि देखी है। इस कंपनी ने शुरू में 20 लाख रुपये के करीब इन्वेस्ट करने के बाद इस वित्त वर्ष में 75 लाख रुपये का राजस्व कमाया।

कंपनी के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों में प्रमेय हेल्थ, आयुर यूनिवर्स जैसे स्टार्टअप शामिल हैं, और इसके अलावा कुछ अन्य जो अपने स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यक्रमों में सप्लीमेंट का उपयोग करते हैं।

हेल्थ स्टार्टअप 23BMI अब ग्राहकों के साथ अधिक से अधिक जुड़ने के लिए अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने पर काम कर रही है।

बस 50 रुपये लेकर निकले थे मंज़िल की तलाश में, आज 75 करोड़ है उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर

जब एक देहाड़ी मजदूर और उसका परिवार दो जून की रोटी के लिए तरसते हो ऐसे में उसी घर का एक लड़का अपनी अथक मेहनत से करोड़ो का साम्राज्य खड़ा कर दे तो ये सुन कर आपको विश्वास नहीं होगा । लेकिन आज की इस कहानी में जिस इंसान के बारे में जिक्र किया जा रहा है उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है।

कहते हैं कि, मन में अगर सच्ची निष्ठा और दृढ संकल्प हो फिर मंज़िल और आपके बीच में कोई भी रुकावट नहीं रहती। जरा सोचिये यदि आपसे बोला जाए कि एक दिहाड़ी मजदूर ने अपनी कठोर मेहनत से करोड़ों का साम्राज्य बना दिया, तो क्या आप यकीन करेंगे? बिलकुल नहीं। लेकिन हमारी आज की कहानी एक ऐसे ही दिहाड़ी मज़दूर के बारे में है जिसने अपनी अथक मेहनत से सफलता को परिभाषित किया है।

एक मामूली कब्र खोदने वाले के बेटे और पेशे से एक दिहाड़ी मजदूर वी पी लोबो ने खुद की बदौलत एक बड़े रियल स्टेट बिज़नेस की स्थापना कर सिर्फ छह सालों में 75 करोड़ का सालाना टर्न-ओवर किया। यह सुनकर आपको किसी चमत्कार सा लग रहा होगा लेकिन लोबो की पूरी जीवन-यात्रा बाधाओं के खिलाफ एक सकारात्मक सोच प्रेरणा से भरी हुई है।

वी पी लोबो की कंपनी को जानिए

लोबो की कंपनी टी-3 अर्बन डेवलपर्स, उच्च गुणवत्ता से युक्त सुविधाओं के साथ बजट घरों का निर्माण करती है। उनके टियर-3 प्रोजेक्ट में इंटरकॉम, वाईफाई और पुस्तकालय शामिल हैं और इस समय तक़रीबन 500 करोड़ रुपयों के मूल्य से भी ऊपर के प्रोजेक्ट उनके कंपनी के चल रहे हैं।

वी पी लोबो की कहानी

वी पी लोबो का जन्म कर्नाटक के मंगलुरू के नजदीक बोग्गा गांव के एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ। उनके माता-पिता अनपढ़ थे इस वजह से उनकी प्रारंभिक शिक्षा लोकल मीडियम स्कूल में ही हुई थी। उन दिनों उनके माता-पिता दोनों ही दिहाड़ी मजदूरी करते थे और उस समय उन्हें मजदूरी के एवज में पैसे नहीं बल्कि चावल और रोज उपयोग में आने वाले सामान दिए जाते थे। इसलिए स्कूल की फीस देने के लिए भी लोबो के परिवार के पास पैसे नहीं होते थे। कुछ लोगों की मदद से वह किसी तरह दसवीं तक पढ़ पाए।

उनके गांव से हाई स्कूल की दूरी 25 किलोमीटर दूर था। इसलिए दसवीं के बाद वह मंगलुरू चले गए। वहाँ संत थॉमस चर्च के पादरियों और नन्स की सहायता से लोबो ने संत मिलाग्रेस स्कूल से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की।

50 रुपये लेकर निकले थे मंज़िल की तलाश में

एक दिन लोबो अपने बचाये 50 रुपये के साथ, बिना घर में किसी को बताये मुम्बई निकल पड़े। बस ड्राइवर मंगलुरू का था और उसने लोबो की मदद की और उसे कोलाबा के सुन्दरनगर स्लम तक पहुंचा दिया। वहाँ वह यूपी के एक ड्राइवर के साथ रहने लगे और बहुत सारे छोटे-मोटे काम सीख गए। थोड़े पैसे कमाने के लिए वह टैक्सी धोने का काम करने लगे। दिन भर में दस गाड़ियां तक धो लेते थे और इससे उन्हें सिर्फ 20 रुपये ही मिल पाते थे।

लोबो ने एक छोटी पॉकेट डिक्शनरी से हिंदी और अंग्रेजी पढ़ना शुरू किया। इतना ही नहीं अंग्रेजी न्यूज़पेपर खरीदकर रोज पढ़ते थे। धीरे-धीरे उसने दोस्त बनाने शुरू किये और कपड़े आयरन करने लगे और इस तरह लोबो महीने में 1200 रुपये कमाने लगे। तब जाकर इन्होंने अपने घर में अपने ठिकाने की जानकारी दी और हर महीने 200 रूपये घर भेजने लगे।

वह एक समृद्ध सज्जन के कपड़े आयरन करते थे, उन्होंने ही लोबो को आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया।

वी पे लोबो ने कहा कि, “मैं कल्पना करता था कि मैं सूट और टाई पहनकर उसके जैसे एक दिन किसी ऑफिस में नौकरी करूँगा और हर दिन मजबूत होता जाऊँगा।” मुम्बई में छह महीने बिताने के बाद उन्होंने नाईट कॉलेज में जाना शुरू किया और वही से इन्होंने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री ली।

संघर्ष के दिनों को याद करते हुए लोबो बताते हैं कि,“मैं सिर्फ 4-5 घंटे ही सो पाता था, टैक्सी धोना, कपड़े आयरन करना, खाना बनाना और सफाई और फिर रात में कॉलेज जाना और पढ़ाई करना। लंच ब्रेक में पांच मिनट में खाना खाकर टाइपिंग क्लास जाता था”।

लोबो की पहली नौकरी

लोबो को उनकी पहली नौकरी जनरल ट्रेडिंग कारपोरेशन में मिली जहाँ से वैज्ञानिक प्रयोगशाला के उपकरण देश के सभी शिक्षण संस्थानों में भेजे जाते थे। इनके मालिक ने इनके सीखने के उत्साह को देखकर उन्हें सेल्स एक्सक्यूटिव की नौकरी दे दी। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पांच साल यह नौकरी करने के बाद लोबो ने इसे छोड़कर गोराडिया फोर्जिंग लिमिटेड कंपनी में रीजनल मेनेजर की पोस्ट पर काम करने लगे।

फिर 1994 में वह मस्कट चले गए और वहाँ से लौटकर उन्होंने एक रियल स्टेट कंपनी एवर शाइन को ज्वाइन किया। उसके पश्चात् उन्होंने बहुत सारी कंपनियों के साथ काम किया और 2007 में एवर शाइन ग्रुप के सीईओ बनकर मुम्बई लौट आये।

लंबे अनुभव के बाद शुरू की खुद की कंपनी

रियल स्टेट बिज़नेस के लंबे अनुभव के बाद इन्होंने 2009 में T3 अर्बन डेवलपर्स लिमिटेड नाम से खुद की कंपनी शुरु की। शुरुआती दिनों में होने वाली पूंजी की दिक्कत उनकी पत्नी के भाई ने और दोस्तों ने पूरी कर दी और बाद में उनके शेयर होल्डर्स ने और धीरे-धीरे उनकी कंपनी में बहुत सारे कंपनियों ने इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया। उनकी कंपनी के नौ प्रोजेक्ट पूरे हो चुके है जिसमे शिमोगा, हुबली और मंगलुरू के प्रोजेक्ट शामिल है।

गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए खोला एनजीओ

लोबो गरीब बच्चों के लिए एक एनजीओ भी चलाते हैं जिसका नाम T3 होप फाउंडेशन है। जिसमें गरीब बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल में पढ़ाया जाता है। इतना ऊँचा मक़ाम हासिल करने के बाद भी लोबो अपने पुराने दिनों को नहीं भूलते। अपनी जड़ों से जुड़े इस रियल हीरो की कहानी सच में बेहद प्रेरणादायक है।

आपको वी पी लोबो की यह प्रेणादायक कहानी कैसी लगी, नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें जरुर बताएं। हम आपके लिए और भी ऐसी ही प्रेणादायक और नए-नए स्टार्टअप की स्टोरी लाते रहेंगे, बने रहें हमारे साथ। और हाँ, इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें।

कोरोना संकट और लॉक डाउन में Google का कमाल, ऐसे कर रहा है परेशान और भूखे लोगों की मदद

गूगल के इस नए फीचर का उद्देश्य कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से प्रभावित नागरिकों की मदद करना है। फिलहाल, यह अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है। हालांकि, इस पर काम चल रहा है, ताकि इसका इस्तेमाल हिंदी भाषा में भी किया जा सके।

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और अब इनकी संख्या 4000 के पार चली गई है। कोरोना को देखते हुए देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन लागू है। इसकी वजह से गांवों, कस्बों और शहरों में लोगों की जिंदगी बाधित हुई है, लोगों की आजीविका और यातायात पर हुए असर की वजह से बहुत से मजदूर जो बेहतर जिंदगी की तलाश में शहर आए थे, वे या तो पैदल घर जाने लगे हैं या फिर उनके पास खाने को नहीं है।

नया फीचर लाया Google

ऐसे लोगों की मदद के लिए गूगल ने अपने मैप्स और सर्च के साथ गूगल असिस्टेंट में भी नया फीचर ऐड किया है। जहां आपको भारत के 30 शहरों के पब्लिक फूड शेल्टर और नाइट शेल्टर यानी रैन बसेरों का पता चल जाएगा।

गूगल मैप के इस नए फीचर का उद्देश्य COVID-19 यानी कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से प्रभावित नागरिकों की मदद करना है। फिलहाल, यह अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है। हालांकि, इस पर काम चल रहा है, ताकि अंग्रेजी के साथ-साथ इसका इस्तेमाल हिंदी भाषा में भी किया जा सके।

इसके लिए बस आपके फोन में गूगल मैप्स ऐप होना चाहिए, जिसपर आप अपने नजदीकी फूड शेल्टर और रैन बसेरों को सर्च कर सकते हैं। इसका लाभ आप KaiOS आधारित फीचर फोन पर भी उठा सकते हैं, जैसे कि जियो फोन। गूगल ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी है, कंपनी ने बताया कि इसके लिए वह MyGovIndia के साथ काम कर रही है।

कैसे करें इसका इस्तेमाल?

इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसान है। जिसके लिए आपको गूगल मैप्स, गूगल सर्च या फिर गूगल असिस्टेंट पर जाकर, Food shelters in <शहर का नाम> या Night shelters in <शहर का नाम> डालकर सर्च करना है। रिजल्ट आपको तुरंत दिखाया जएगा। शुरुआती रूप में यह सुविधा अंग्रेजी भाषा में ही है, लेकिन आने वाले दिनों में जल्द ही आप इसके लिए हिंदी भाषा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

कंपनी ने यह भी कहा कि वह जल्द ही एक क्विक एक्सेस शॉर्टकट शामिल करेगी। जो कि सर्च बार या पिन के नीचे दिया होगा जिससे लोगों को Maps पर फूड और नाइट शेल्टर की जगह का पता लगाने में आसानी होगी।

जरूरतमंद लोगों के पास नहीं हैं स्मार्टफोन्स, फिर कैसे..?

यह पहल इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि सभी लोगों की खाने और शेल्टर की पहुंच रहे। क्योंकि बहुत से जरूरतमंद लोगों के पास स्मार्टफोन्स या मोबाइल का एक्सेस नहीं हो सकता है। इसके अलावा, जिन लोगों को फूड शेल्टर या फिर रैन बसेरों की जरूरत पड़ती है, उनमें से ज्यादातर लोगों स्मार्टफोन यूज़र्स नहीं होते हैं, गूगल ने इस बात का भी ध्यान रखा और यह पुख्ता किया कि यह सुविधा हर जरूरतमंद तक पहुंचे, इसके लिए गूगल ने इस सुविधा को जियो फोन जैसे फीचर फोन के लिए भी ज़ारी किया है। मालूम हो कि, जियो फोन में गूगल असिस्टेंट एक्सेस उपलब्ध होता है।

गूगल इंडिया के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अनल घोष का कहना है कि जरूरतमंदों तक इस सुविधा की जानकारी पहुंचाने के लिए एनजीओ, ट्रैफिक अथॉरिटी, वॉलेनटियर्स का सहारा लिया जा रहा है, ताकि यह जरूरी सुविधा हर जरूरतमंद तक पहुंचे जिसके पास स्मार्टफोन एक्सेस न हो। गूगल इसमें न केवल ज्यादा भाषाओं को शामिल करने पर काम कर रही है बल्कि आने वाले दिनों में इसमें और शहरों के शेल्टर्स को जोड़ा जाएगा।

कंपनी ने कोरोना से संबंधित कई कदम लिए

कोरोना वायरस की महामारी के दौरान गूगल ने अपने स्तर पर कई ऐसे कदम लिए हैं जिससे इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि लोग बीमारी के बारे में जागरूक हैं और उनके पास अपने स्तर पर इसके खिलाफ लड़ने के लिए जरूरी जानकारी है।

टेक कंपनी ने अलग से वेबसाइट बनाई है जिसमें केवल विश्वसनीय जानकारी है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और दुनिया भर की स्थानीय स्वास्थ्य अथॉरिटी से ली गई है, जिससे लोगों को बीमारियों के बारे में कोई गलत जानकारी न मिले।

भारतीय बैंकों के लिए कोरोना संकट बनी नोटबंदी से बड़ी चुनौती

कोरोना से कारोबार बंद होने की स्थिति में आने वाले समय में छोटी कंपनियों और कारोबारियों के डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में कोरोना संकट बैंकों के लिए नोटबंदी से बड़ी चुनौती बन सकता है।

आज कोरोना आपदा वैश्विक आधार ले चुकी है। भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। दुनिया के शक्तिशाली देश भी इस वायरस के आगे लाचार दिखते हैं। उत्पादन ह्रास, सामाजिक संत्रास, और आर्थिक मंदी विभीषिका का रूप ले चुके हैं। दुनिया ने सोचा ही नहीं था कि प्रगति के नाम पर ऐसे सर्वाधिकार प्राप्त देश वैश्विक आपदा पैदा करके विश्व को प्रलय (महाविनाश) का बोध करा देंगे। कोरोना ने मानव के विकास की पांच मौलिक आवश्यकताओं – स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, सम्पोषण एवं संप्रेषण को पूर्णतः ठप कर दिया है। साथ ही, इससे आर्थिक सुस्ती बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है।

कोरोना संकट से आर्थिक सुस्ती बढ़ने की आशंका के बीच भारतीय बैंकों के लिए नकदी का इंतजाम मुसीबत साबित हो सकता है। रिजर्व बैंक ने तीन माह तक ईएमआई टालने का निर्देश दिया है। जबकि, कोरोना से कारोबार बंद होने की स्थिति में आने वाले समय में छोटी कंपनियों और कारोबारियों के डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में कोरोना संकट बैंकों के लिए नोटबंदी से बड़ी चुनौती बन सकता है।

लगने वाले झटके का आकलन कर रहे बैंक

कितने कर्जदार कर्ज के भुगतान पर लगी पाबंदी का फायदा उठाने वाले हैं। बैंकर्स के लिए यह एक बड़ा सवाल है, जिससे वे जूझ रहे हैं। यदि कर्जदारों ने ब्याज और ईएमआई नहीं चुकाई, तो काफी बुरा असर पड़ सकता है। यदि बड़ी संख्या में कर्जदारों ने ईएमआई नहीं भरी, तो रिजर्व बैंक के इस कदम से मांग की आपूर्ति कर पाना कठिन होगा। 3 माह तक कर्ज की ईएमआई नहीं मिलने से बैंकों की आय पर असर पड़ने कई आशंका लगाई जा रही है।

बैंकों के पास ब्याज ही आय का जरिया

बैंकों की आमदनी कर्ज पर मिलने वाला ब्याज से होती है। जमाओं पर ब्याज और कर्ज पर मिलने वाले का मामूली अंतर ही बचता है। बैंक अभी एफडी पर करीब 5.75 प्रतिशत ब्याज दे रहे हैं। जबकि करीब 7.75 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज दे रहे हैं। इस दो फीसदी के अंतर में भी खर्च काटकर बैंकों के पास एक फीसदी से भी कम बचता है।

बैंकों को आरबीआई से मदद की दरकार

विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति उन बैंकों के लिए गंभीर है, जिनका कर्ज जमा (सीडी) अनुपात अधिक है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक को बैंकों को कर्ज देने के विषय में सोचना पड़ेगा। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था में नकदी का बड़ा संकट पैदा हो सकता है।

म्यूच्यूअल फंड उद्योग के लिए बड़ा अवसर

ब्याज घटने और शेयर बाजार में गिरावट से निवेशक म्यूचुअल फंड की ओर जा सकते हैं। मौजूदा हालात में अभी म्यूचुअल फंड के इक्विटी फंड में निवेश करने से निवेशकों को बचना चाहिए। निवेश से पहले जोखिम, क्षेत्र की स्थिति जरूर देखें।

घबराहट में एफडी को तोड़ना समझदारी नहीं

एफडी पर ब्याज घटने के बावजूद किसी घबराहट में उसे समय से पहले खत्म करने से परहेज करें। एक्सपर्ट का कहना है कि एफडी हर हाल में सुरक्षित है। ऐसे में एफडी बीच में खत्म करने और उसे शेयर बजार या किसी अन्य वित्तीय उत्पाद में निवेश करने से बचें।

दुनियाभर में तेजी के साथ फैल रहे घातक कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसके चलते वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग और आपूर्ति दोनों पर असर पड़ा है। अनुमान लगाया जा रहा कि, इससे भारतीय बैंकों को नोटबंदी से भी अधिक असर पड़ सकता है।

भारत में कोरोना संकट के बीच व्हाट्सएप और टिक टॉक को पीछे छोड़ टॉप पर पहुंचा Zoom

कोरोनावायरस के संकट के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऑफिस में रहने का नया तरीका बन गया है। ऐसे संकट के समय में भारत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए ‘जूम ऐप (Zoom App)’ सफलता के शिखर पर पहुंच गया है।

दुनिया भर में कोरोनावायरस के संकट ने लॉकडाउन के कारण लोगों को घर से काम करने के लिए मजबूर कर दिया है। सोफे पर बैठ कर आराम से घर से काम करने के साथ, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी ऑफिस में रहने का नया तरीका बन गया है। ऐसे संकट के समय में भारत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए ‘जूम ऐप (Zoom App)’ सफलता के शिखर पर पहुंच गया है।

यही नहीं, इस स्टार्टअप ने गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के मामले में व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और यहां तक ​​लोकप्रिय टिकटॉक को भी पीछे छोड़ अब टॉप पर अपना स्थान बना लिया है। इस ऐप के बेसिक वर्जन के साथ, वीडियो कॉलिंग सुविधा में लगभग 100 लोग एक साथ शामिल हो सकते हैं।

इसके अलावा, ज़ूम एकमात्र ऐसा ऐप है जिसके माध्यम से 10 से अधिक लोग वीडियो कॉल कर सकते हैं। इन्हीं खासियतों की वजह से यह ऐप कंपनियों और काम करने वाले लोगों के बीच सबसे लोकप्रिय ऐप बन गया है। अब तक, जूम के 100 मिलियन से भी अधिक डाउनलोड हो चुके हैं, और यह आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

व्हाट्सएप के उपयोग में वृद्धि तो हुई है, लेकिन यह मैसेजिंग ऐप पांचवें स्थान पर चला गया है। जबकि, यह हमेशा टॉप 2 में अपनी जगह बनाये रखता था।

कोरोनोवायरस महामारी ने जूम ऐप को काफी लाभ पहुंचाया है, जिससे साप्ताहिक विज्ञापन इसे कोरोना संकट में अर्थव्यवस्था का राजा कहा जा रहा है। जैसा कि, लोग कुछ समय से घर से काम कर रहे हैं, इस समय में ‘जूम एप’ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए काम को आसान बना रहा है।

इस बीच, हाल ही में जूम कुछ सही कारणों के लिए समाचार में नहीं था क्योंकि यह दावा किया गया था कि इसका आईओएस एप्लीकेशन यूज़र्स के अनुमति के बिना फेसबुक को डेटा भेज रहा था। वास्तव में, यूज़र्स द्वारा अकाउंट नहीं होने के बावजूद डेटा भेजा गया था।

इस मामले में कंपनी की प्रतिक्रिया थी कि “ज़ूम अपने यूज़र्स की गोपनीयता को बहुत गंभीरता से लेता है। कंपनी ने कहा है कि, हमने अपने यूज़र्स को हमारे प्लेटफ़ॉर्म तक पहुँचने के लिए एक और सुविधाजनक तरीका प्रदान करने के लिए मूल रूप से फेसबुक एसडीके का उपयोग करके लॉगिन विथ फ़ेसबुक ’सुविधा को लागू किया। हालाँकि, हमें हाल ही में अवगत कराया गया था कि फेसबुक एसडीके अनावश्यक डिवाइस डेटा एकत्र कर रहा था।

जानिए कोरोना से लड़ने में ‘ऑन डिमांड सर्विसेज’ कैसे करेगा आपकी मदद

कोरोनावायरस (COVID-19) से पीड़ित मरीजों की संख्या बड़ी तेजी से दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है लेकिन निश्चित रूप से इसे रोका जा सकता है।

कोरोनावायरस (COVID-19) से पीड़ित मरीजों की संख्या बड़ी तेजी से दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है लेकिन निश्चित रूप से इसे रोका जा सकता है। सरकार इसे नियंत्रित करने, इसका इलाज करने और लोगों को सुरक्षित और स्वस्थ रहने के लिए हर जरुरी उपाय कर रही है।

कोरोना संकट के बीच खुदरा स्टोर, दवा कंपनियों और किराना स्टोर जैसे कुछ व्यवसाय मुनाफे के चरम पर है। हालांकि, ऐप बनाने वाली कंपनियां इससे अप्रभावित रहती हैं, वे नई प्रोजेक्ट को खोजने में मुद्दों का अनुभव करती हैं, लेकिन उनकी मौजूदा परियोजनाएं उन्हें चलते रहने देती हैं। साथ ही, उन्हें अपने काम को दूर से करने की भी स्वतंत्रता है।

इस समय सबसे अच्छी बात यह है कि, देश के लोग स्थिति को समझ रहे हैं और अपने और पूरे देश की रक्षा के लिए घर के अंदर ही हैं। यह कुछ समय के लिए तो ठीक हो सकता है लेकिन समय बीतने के साथ यह और अधिक कठिन होता जाएगा। एक समय के बाद, लोगों को दैनिक आवश्यक चीजें खरीदने की आवश्यकता होगी। और, इसी दौरान ‘ऑन-डिमांड सेवाएं’ की जरुरत आएगी।

यहां तक कि नियमित दिनों में भी, लोग स्टोर पर जाने, चीजों को लेने, बिलिंग लाइन में प्रतीक्षा करने और ड्राइव करके घर वापस जाने के बजाय अपनी चीजों को मंगवाने के लिए ऑन-डिमांड मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे थे। अभी के मौजूदा स्थिति में, लोग अपने घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं। ऐसे समय में यह ऐप लोगों के लिए घर में ही रहना संभव बनाता है। यह ऐप सामानों को सेलेक्ट करता हैं और कस्टमर के घरों में प्रोडक्ट को पहुंचाता है जिससे उन्हें घर के अंदर रहने और सामाजिक भीड़-भाड़ से बचने में मदद मिलती है।

ऑन-डिमांड सर्विसेज कोरोनोवायरस से लड़ने में कैसे मदद करता है?

मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये करें किराने का सामान ऑर्डर

अगर किराने का सामान खरीदने बाहर जाते हैं तो हो सकता है आपके बगल में खड़े व्यक्ति से आप प्रभावित हो सकते हैं।
या फिर आपके बगल में पार्क किए वाहन से भी हो सकता है आप प्रभावित हो जाएँ। काफी ऐसी संभावनाएं हैं इसका एक सही समाधान ऑनलाइन किराना ऐप है।

इसे उपयोग करके आप इस तरह आप भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बच सकते हैं और संक्रमित होने की संभावनाओं से भी बच सकते हैं। ऐप खोलें, उन उत्पादों का चयन करें जिन्हें आप खरीदना चाहते हैं, उन्हें कार्ट में जोड़ें और ऑर्डर करें। यहाँ आप डेबिट या क्रेडिट कार्ड या यूपीआई (UPI) स्मार्ट फोन एप्लिकेशन के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान भी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप कैश भी दे सकते हैं लेकिन वित्तीय लेनदेन के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म करना बेहतर है। ऑनलाइन पेमेंट आपको एटीएम से नकदी निकालने के लिए जाने से बचाएगा, यदि आपके पास इसकी कमी है।

वैसे तो इसका उपयोग लोग काफी लंबे समय से करते आ रहे हैं, लेकिन अब और भी अधिक उपयोग करते हैं। यदि आप इस महामारी के दौरान एक आकर्षक व्यवसाय की तलाश या विचार कर रहे हैं, तो ऑनलाइन किराने की दुकान ऐप बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके लिए आपको मोबाइल ऐप डेवलपर्स को हायर करने में भी कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि वे सभी अभी तक सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

ऑन-डिमांड फ्यूल डिलीवरी

फ्यूल स्टेशन भी एक ऐसी जगह है, जहां कई लोग आते हैं। फ्यूल भी आवश्यकताओं में से एक है और आप इससे बच नहीं सकते हैं लेकिन जब आपके पास इसके लिए कोई ऐप हो तो बाहर क्यों जाएं? बाहर जाने से संक्रमित होने की थोड़ी सी भी संभावना अपने आप को उजागर कर रही है और इसे अपने परिवार और दूसरों के संपर्क में फैला सकती है।

बस कुछ क्लिक्स करने होंगे और आप अपने ईंधन टैंक को अपने सोफे पर आराम से बैठे पूरा भर सकते हैं। आपको बस इतना करना है, ऐप खोलें, ईंधन के प्रकार और मात्रा का चयन करें और अपना ऑर्डर दें। डिलीवरी बॉय को आने और उसे डालने के लिए चुने गए कंटेनर खुला रखें। आपको नकद भुगतान करने के लिए नीचे नहीं जाना होगा। भुगतान करने के लिए ऐप में एक ई-वॉलेट या अन्य ऑनलाइन तरीके होंगे।

ऑनलाइन मेडिकल सलाह

इस समय देश के सभी राज्य और शहर लॉकडाउन हैं। ऐसे में किसी भी काम को पूरा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे कई रोगी हैं जो वायरस के अलावा अन्य चिकित्सा स्थितियों से पीड़ित हैं, जिन्हें अपना इलाज ट्रैक पर रखने के लिए निरंतर परामर्श की जरुरत होती है। हालांकि, ऐसी संकट के स्थिति कई डॉक्टर ऐसे भी है जो मरीजों के इलाज का जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं। वहीं, दूसरी तरफ मरीज भी महामारी के कारण अस्पतालों और क्लीनिकों में जाना नहीं चाहते हैं।

ऐसी स्थिति में मोबाइल एप्लिकेशन उपयोगी हैं। अपने नियमित चिकित्सक से ऑनलाइन परामर्श आपको बिना किसी परेशानी के अपना इलाज जारी रखने में मदद कर सकता है। बस अपने डॉक्टर को एक वीडियो कॉल करें, उनसे परामर्श करें, ऑनलाइन दवा लिखवाएं और घर बैठे ही दवा भी मंगवा लें।

घर बैठे मंगवाएं दवाईयां

आप कोरोनावायरस के संक्रमण की डर से डॉक्टर से मिलने से परहेज करते हैं। ऐसे में डॉक्टर से ऑनलाइन सलाह और दवाओं का प्रिस्क्रिप्शन लें। अब जरा सोचिये यदि आपकी दवा नहीं मिलती है या उन्हें खरीदने के लिए बाहर जाना पड़ता है तो क्या परामर्श किसी काम का होगा? इसलिए, आपके घर पर पर दवाओं को मंगवाने में मदद करने के लिए टेलीमेडिसिन ऐप हैं। जब आपके पास हर श्रेणी में ऐप बनाने वाली मोबाइल ऐप डेवलपमेंट कंपनी है, तो आपको बाहर जाने की जरुरत नहीं है। यह आपके बाहर से लाने वाले सभी जरूरतों को सुविधाजनक आपके घरों तक पहुंचाने में मदद करता है।

अपने फ़ोन पर Google Play Store या Apple ऐप स्टोर से ‘ऑन-डिमांड मेडिसिन डिलीवरी’ ऐप डाउनलोड करें। अपने उन दवाओं का नाम दर्ज करें और घर बैठे ऑर्डर दें। साथ ही अपने हिसाब से सुविधाजनक पेमेंट ऑप्शन चुनें और पे करें।

घर में रहें, सुरक्षित रहें

हम कुछ समय के लिए इधर उधर के कामों को बाद के लिए रख सकते हैं लेकिन, कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें हम टाल नहीं सकते। जैसे कि, आप थोड़ी देर के लिए एक नया सोफे खरीदने की बात को टाल सकते हैं, लेकिन अगर वहीं आपके घर में पानी की समस्या आ जाए तो उस पर तुरंत ध्यान देना होगा। इसी तरह यह मोबाइल ऐप इस इस समय आपके सभी कामों के टॉप पर रखने वाली है। ऑन-डिमांड मोबाइल ऐप आपको इस संकट से निपटने में मदद कर सकता है। इसमें ऐसे ऐप्स हैं जो आपको प्लंबर को ऑन-डिमांड कॉल करने और ऐसे ही अन्य जरुरी दिक्कतों को हल करने में मदद करता है।

आपको जरुरत की किसी भी कामों के लिए घर से बाहर जाने की जरूरत नहीं है। बस ऐप खोलें, आप जिस सेवा की तलाश कर रहे हैं उसे चुनें और स्पेशलिस्ट को बुक करें। उसके लिए ऑनलाइन पे करें या फिर काम हो जाने के बाद कैश दें।

कोरोनावायरस ने लोगों को बाहर जाने से रोक दिया है। हालाँकि, इसने लोगों को अपनी जरुरत की सामान खरीदने से नहीं रोका। सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग, मोबाइल ऐप डेवलपर्स और ऐसे मोबाइल ऐप को धन्यवाद, जिनसे लोग अपनी आपूर्ति प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप भी घर पर रहना चाहते हैं और सुरक्षित हैं तो ऑन-डिमांड ऐप डाउनलोड करें, और ऑर्डर करना शुरू करें।

कोरोना से लड़ाई में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और विप्रो ने की 1125 करोड़ की मदद

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में फिल्मी सितारों से लेकर उद्योगपति तक सब सामने आ रहे हैं।

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इनकी संख्या खबर लिखने के समय तक 1900 के आंकड़े को पार कर गई है। इस बीच, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में फिल्मी सितारों से लेकर उद्योगपति तक सब सामने आ रहे हैं। अजीम प्रेमजी की अगुवाई में विप्रो लिमिटेड (Wipro Limited), विप्रो इंटरप्राइजेज लिमिटेड और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन मिलकर 1125 करोड़ रुपये का योगदान देंगी।

इस 1,125 करोड़ की कुल राशि में से विप्रो लिमिटेड 100 करोड़ और विप्रो इंटरप्राइजेज लिमिटेड 25 करोड़ का योगदान देगी। इसके अलावा, बाकी बची राशि यानि 1000 करोड़ रुपये अजीम प्रेमजी फाउंडेशन देगी।

बनाई गई 1600 लोगों की टीम

बयान के मुताबिक, इन कामों के लिए अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के लोगों की 1600 लोगों की टीम बनाई गई है। इसके साथ ही 350 सिविल सोसायटी पार्टनर भी हैं जिनकी मौजूदगी पूरे देश में है। इन कदमों से विप्रो की टेक्नोलॉजी क्षमता, सिस्टम, इंफ्रास्ट्रक्चर और डिस्ट्रीब्यूशन की पहुंच का भी पूरा फायदा होगा।

साथ में यह भी कहा गया है कि, आधुनिक वैश्विक समाज ने इस तरह और स्तर के संकट का सामना नहीं किया है। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और विप्रो का मानना है कि इस संकट का सब लोगों को साथ मिलकर सामना करना करना चाहिए और इसके असर को कम करना चाहिए। इसमें वंचितों की सबसे ज्यादा मदद करने की जरूरत है। इसके लिए वे पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और सभी लोगों की सुरक्षा की कामना करते हैं.

कई उद्योगपति मदद के लिए आगे आए

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए और स्वास्थ्य कर्मचारियों के सामने आई चुनौती की वजह से, कुछ दूसरे उद्योगपति भी संकट की इस स्थिति में लोगों की मदद करने के लिए सामने आए हैं। रतन टाटा की अगुवाई में टाटा ट्रस्ट, टाटा संस और टाटा ग्रुप की कंपनियां मिलकर कोरोना वायरस के राहत कोष में 1500 करोड़ रुपये देंगी।

आपको मालुम हो कि, महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के आनंद महिंद्रा ने इससे पहले महिंद्रा के रिजॉर्ट्स को संक्रमित लोगों की केयर फैसिलिटी के तौर पर इस्तेमाल करने की पेशकश की थी। साथ ही, महिंद्रा ग्रुप वेंटिलेटर उपलब्ध कराने पर भी काम कर रहा है जो संक्रमित लोगों के इलाज में बहुत महत्वपूर्ण है।

कोरोना संकट : ट्रैवल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छंटनी करने वाला पहला स्टार्टअप बना यह कंपनी, निकाले गए 250 से अधिक कर्मचारी

कोरोना महामारी के कारण विश्व भर में यात्रा और आतिथ्य व्यवसाय सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इस वायरस के प्रसार ने ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों, होटल चेन और सहायक सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। देश के सबसे बड़े ओटीए मेकमाईट्रिप ने सभी स्तरों पर वेतन में कमी की है और अब ट्रैवलट्रायंगल ने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की है।

अंग्रेजी वेबसाइट इंटरैकर के अनुसार, कंपनी ने पिछले 10 दिनों में अपने 50% कर्मचारियों को काम से निकाल दिया है। वेबसाइट के मुताबिक, नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि ट्रैवलट्रायंगल ने 20 मार्च से लगभग 250-300 लोगों को निकाल दिया है।

निकाले गए कर्मचारी में ऑपरेशन, मार्केटिंग, ग्राहक सहायता और व्यवसाय विकास कार्यों से सम्बंधित लोग शामिल हैं। इतना ही नहीं, सूत्रों ने यह भी कहा कि निर्धारित कर्मचारियों के एक बड़े समूह को उनके स्टैण्डर्ड सेवेरंस पैकेज का भी भुगतान नहीं किया गया था।

ट्रैवलट्रायंगल छुट्टी पैकेज के लिए एक ऑनलाइन बाज़ार है। इसका कारोबार पिछले तीन से पांच हफ्तों से रुका हुआ है और अब कोरोना (COVID-19) महामारी के कारण उत्पन्न हुई दिक्कतें कंपनी को संकट में डाल दी है। जानकारी के मुताबिक, ट्रैवलट्रायंगल में पिछले सप्ताह तक लगभग 600 कर्मचारी थे।

कंपनी के दूसरे सूत्र के मुताबिक, “चूंकि, इस महीने कंपनी लगभग शून्य कारोबार का अनुभव कर रही है और अगले कुछ महीनों या उससे अधिक के लिए यही स्थिति बरक़रार रहने की संभावना है। इसी को देखते हुए कंपनी ने बड़े पैमाने पर छंटनी का सहारा लिया है” उन्होंने भी नाम नहीं लेने की बात कही।

केवल चार महीने पहले ही ट्रैवलट्रायंगल ने दक्षिण कोरिया स्थित KB ग्लोबल प्लेटफॉर्म फंड और नंदन नीलेकणी के नेतृत्व वाले फंडामेंटम पार्टनरशिप फंड से 93.5 करोड़ रुपये जुटाए थे। सूत्रों ने इस बात पर जोर दिया है कि, कंपनी कठिन समय को बनाए रखने के लिए संसाधनों और पूंजी का संरक्षण कर रही है।

वेबसाइट ने गुरुवार को ट्रैवलट्रायंगल के सह-संस्थापक और सीईओ संकल्प अग्रवाल को एक विस्तृत प्रश्नावली भेजी थी। हालाँकि, अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। जैसे ही कोई जवाब आता है हम इस पोस्ट को अपडेट करेंगे।

इसके बाद, यह कंपनी ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कर्मचारी की छंटनी करने वाली पहला स्टार्टअप बन गया है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि, अगर 15 अप्रैल के बाद स्थिति बेहतर नहीं होती है, तो देशभर में कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को निकालने के लिए मजबूर होंगी।

जीओ-एमएमटी ने बड़े पद पर कार्यरत कर्मचारी, वरिष्ठ प्रबंधन और मध्यम स्तर के कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी क्योंकि यह महामारी से निपटने के लिए तैयार था। “वेतन कटौती लाज़मी है। इस क्षेत्र की कई अन्य कंपनियां भी वेतन में कटौती और नकदी के संरक्षण के लिए संभावित छंटनी को लागू करने की योजना बना रही हैं। इसके अलावा, जैसा कि आगे भी स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है, ऐसे में ट्रैवलट्रायंगल एक बार और छंटनी कर सकती है।

भारत इस समय चौथे सप्ताह में है क्योंकि कोविड-19 सकारात्मक मामलों के पहले बैच की पहचान की गई थी। भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बहुत बड़ा झटका लगा है और बड़े-बड़े उद्यमी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे कटौती करके अपने परिचालन को चलाया जाए।

EMI चुकाने और कार्यशील पूंजी पर लगने वाले ब्याज पर 3 महीने की रोक – RBI

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बीते शुक्रवार को रिटेल लोन की EMI भरने पर भी 3 महीने का मोरेटोरियम यानि मोहलत देने की घोषणा की है। कोरोना वायरस से अर्थव्यवस्था पर खतरे को देखते हुए रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को ब्याज दरों में ऐतिहासिक कटौती की है। वहीं, केंद्रीय बैंक ने रिटेल लोन की EMI भरने पर भी 3 महीने का मोरेटोरियम लगा दिया है।

यह 1 मार्च 2020 और 31 मई के बीच आने वाली किस्तों पर लगाया गया है। जानकारों ने इसे नए कोरोना वायरस के संकट में लिया गया एक सकारात्मक कदम बताया है। कोरोना की वजह से देश में 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है और इससे अर्थव्यवस्था पर असर हुआ है।

RBI के गवर्नर का आदेश

गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, “सभी वाणिज्यिक बैंकों (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और सूक्ष्म-वित्त संस्थानों सहित) और उधार देने वाली संस्थाओं को तीन महीने तक कार्यशील पूंजी पुनर्भुगतान पर ब्याज में छूट की अनुमति है।”

मोरेटोरियम अवधि उस अवधि को संदर्भित करती है, जिसके दौरान उधारकर्ताओं को लिए गए ऋण पर एक समान मासिक किस्त या ईएमआई का भुगतान नहीं करना पड़ता है। दास के मुताबिक, नकद ऋण के रूप में स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाओं के संबंध में, उधार देने वाली फर्मों को 1 मार्च, 2020 तक बकाया ऐसी सभी सुविधाओं के संबंध में ब्याज के भुगतान पर तीन महीने की छूट देने की अनुमति दी जा रही है।

इस अवधि के लिए संचित ब्याज का भुगतान आस्थगित अवधि की समाप्ति के बाद किया जाएगा। दास ने कहा कि, बैंक कार्यशील पूंजी चक्र को भी आश्वस्त कर सकते हैं और इसे गैर-निष्पादित परिसंपत्ति नहीं माना जाएगा।

इस घोषणा में मदद की जानी चाहिए क्योंकि मासिक किस्तों या ईएमआई के लिए गए ऋण पर पुनर्भुगतान और फिर बैंक खातों से कटौती नहीं की जाएगी और साथ ही क्रेडिट स्कोर पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा।

क्रेडिट कार्ड बकाया राशि अधिस्थगन का हिस्सा नहीं होगा

प्रेस के बाद एक टीवी चैनल को जारी स्पष्टीकरण में, आरबीआई ने कहा कि क्रेडिट कार्ड बकाया राशि अधिस्थगन का हिस्सा नहीं होगा क्योंकि यह टर्म लोन का हिस्सा नहीं है। हालांकि, कुछ घंटों बाद एक ताजा स्पष्टीकरण में, आरबीआई ने कहा कि क्रेडिट कार्ड बकाये ऋणों में शामिल हैं, जिन पर बैंक 3 महीने की मोहलत दे सकते हैं।

घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, CII के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि 3 महीने की अवधि के लिए ऋणों के पुनर्भुगतान पर रोक इस अवधि में कंपनियों को मदद करेगी।

कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ने से और बढ़ सकता है समय

“हालांकि, CII का आग्रह होगा कि कोरोनावायरस का प्रकोप उम्मीद से अधिक समय तक रहने की स्थिति में इस अवधि को और बढ़ाया जाए। आरबीआई गवर्नर ने यह आश्वासन दिया कि, यह सभी उपाय अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली को अत्यधिक मंदी या अस्थिरता से बचाने के लिए मेज पर हैं।

कई उद्योग पर्यवेक्षकों ने कहा कि ईएमआई (EMI) तिथियों को स्थगित करने की आरबीआई की घोषणा साहसिक नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी ईएमआई नियत तिथियों को स्वचालित रूप से स्थगित कर दिया जाना चाहिए।

वित्त मंत्री ने भी किया बड़ा एलान

इन सब के अलावा, केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 75 बेसिस अंकों की कटौती कर 4.4% कर दिया और साथ ही, सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ रुपये की तरलता को इंजेक्ट करने के लिए कई उपायों की घोषणा की। आपको बता दें कि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 26 मार्च को गरीबों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा के बाद आरबीआई गवर्नर की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई।

भारतीय टेलीकॉम की दिग्गज कंपनी रिलायंस जियो में फेसबुक की हिस्सेदारी की संभावना तेज

सोशल मीडिया के क्षेत्र में अग्रणी माने जाने वाले फेसबुक की भारतीय टेलीकॉम की दिग्गज कंपनी रिलायंस जियो में 10% हिस्सेदारी हासिल करने की बातचीत चल रही है।

सोशल मीडिया के क्षेत्र में अग्रणी माने जाने वाले फेसबुक की भारतीय टेलीकॉम की दिग्गज कंपनी रिलायंस जियो में 10% हिस्सेदारी हासिल करने की बात चल रही है।

पहली बार, 370 मिलियन ग्राहकों के साथ टॉप दूरसंचार ऑपरेटर जियो अब रणनीतिक निवेश के लिए अपनी हिस्सेदारी को कम करेगा। बता दें कि, मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड ने अब तक सहायक कंपनी में $ 25 बिलियन से अधिक की पूंजी लगाई है।

मार्क जुकरबर्ग के नेतृत्व वाली कंपनी भी जियो (Jio) के साथ प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के करीब थी। फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनोवायरस महामारी के कारण दुनिया भर में हुए यात्रा प्रतिबंध की वजह से इस समझौते को आगे स्थगित कर दिया है।

यह भी पढ़ें – कोरोना संकट के बीच पेटीएम ने किया बड़ा एलान, दवा बनाने के लिए देगी 5 करोड़ रुपये और अमेजन ने लिया ये फैसला 

जियो में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कई अरब डॉलर का सौदा होने की संभावना है जैसे कि सैनफोर्ड सी, बर्नस्टीन एंड कंपनी, एलएलसी ने दूरसंचार कंपनी को $ 60 बिलियन से अधिक का मूल्य दिया था।

माना जा रहा है कि, रिलायंस जियो के लिए यह हिस्सेदारी की बिक्री काफी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि कंपनी 2021 तक अपने अधिकांश कर्ज का भुगतान करना चाहती है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2019 में लगभग 1,450 करोड़ रुपये के कुल कर्ज की रिपोर्ट की थी और वित्त वर्ष 2021 के अंत तक इसके 1,700 करोड़ रुपये से अधिक तक पहुंचने का अंदाजा लगाया गया था।

बर्नस्टीन के विश्लेषक, नील बेवरिज और क्रिस लेन के अनुसार, आरआईएल (रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी को अगले साल लाभ होने की उम्मीद है, और वित्त वर्ष 2023 तक यह आरआईएल के सबसे बड़े एबिटा योगदानकर्ता बनने के ऊर्जा व्यवसाय से आगे निकल जाएगी।

टेलिकॉम के अलावा जियो कंपनी, UPI के माध्यम से डिजिटल भुगतान, म्यूजिक स्ट्रीमिंग ऐप जियो सावन (Jio Saavn), किराना प्लेटफॉर्म जियो मार्ट (JioMart), ऑन-डिमांड टीवी सेवा जियो टीवी (JioTv) जैसे कई अन्य उत्पादों का एक समूह है।

हाल ही में, जियो ने सरकार से 5G परीक्षण करने की अनुमति के लिए आवेदन किया था। अगर इसके लिए अनुमति दी जाती है, तो जियो खुद के द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी और डिजाइन के आधार पर 5G सेवाओं की पेशकश करने वाली पहली कंपनी होगी।

आपको बता दें कि, फेसबुक के लिए यह निवेश भारत में तीसरा निवेश होगा। पिछले नौ महीनों में, इसने सोशल कॉमर्स स्टार्टअप मीशो में 25 मिलियन डॉलर का निवेश किया था और एडटेक स्टार्टअप अनसैकेडमी में लगभग 15 मिलियन डॉलर का निवेश किया था।

कोरोना संकट के बीच पेटीएम ने किया बड़ा एलान, दवा बनाने के लिए देगी 5 करोड़ रुपये और अमेजन ने लिया ये फैसला

डिजिटल भुगतान से जुड़ी कंपनी पेटीएम (Paytm) ने एक बड़ा एलान किया है. पेटीएम ने कहा है कि वह कोरोना वायरस (Coronavirus) की दवा विकसित करने के लिए भारतीय शोधकर्ताओं को पांच करोड़ रुपये देगी, पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने रविवार को ट्वीट में यह बात कही।

डिजिटल भुगतान से जुड़ी कंपनी पेटीएम ने बड़ा एलान किया है। पेटीएम ने कहा है कि, वह कोरोना वायरस (Covid-19) की दवा विकसित करने के लिए भारतीय शोधकर्ताओं को पांच करोड़ रुपये देगी। पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने रविवार को ट्वीट में यह बात कही। बता दें कि, देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इसकी रोकथाम व इलाज के लिए अभी तक कोई दवा नहीं है।

विजय शेखर शर्मा ने ट्वीट में लिखा, “हमें अधिक संख्या में भारतीय इनोवेटर्स, शोधकर्ताओं की जरूरत है जो वेंटिलेटर की कमी और कोविड-19 के इलाज के लिए देशी समाधान खोज सकें। पेटीएम संबंधित चिकित्सा समाधानों पर काम करने वाले ऐसे दलों को पांच करोड़ रुपये देगी ”।


विजय शेखर ने आईआईएससी, बेंगलुरु के प्राध्यापक गौरव बनर्जी के एक संदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यह बात कही। बनर्जी ने अपने संदेश में किसी आपातकालीन स्थिति में देशी तकनीक का इस्तेमाल कर वेंटिलेटर बनाने की बात कही थी।

इंजीनियर्स बना रहे हैं प्रोटोटाइप

बनर्जी ने अपने संदेश में कहा है कि, उनकी एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स की एक छोटी टीम भारतीय सामग्री का इस्तेमाल करते हुए एक वेंटीलेटर नमूना तैयार करने का प्रयास कर रही है। यह काम कोविड-19 के दौरान आपात स्थिति को देखते हुए किया जा रहा है। शर्मा ने कहा कि, उन्होंने अपने ट्विटर में सीधे संदेश भेजने का विकल्प खुला रखा है। इसमें संभावित टीम और नवीन खोज करने वालों की सूचना प्राप्त की जा सकती है।

पेटीएम के अलावा अमेजन ने भी लिया यह फैसला

इसके अलावा शनिवार, 21 मार्च को, ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी अमेजन के संस्थापक और सीईओ जेफ बेजोस ने घोषणा किया कि, स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के इस समय में, अमेज़न एक लाख नई भूमिकाओं के लिए लोगों को काम पर रखेगा, और साथ ही जो ऑर्डर पूरा कर रहे हैं और वितरित कर रहे हैं तनाव और उथल-पुथल के इस समय में अपने ग्राहकों के लिए उनके प्रतिदिन के कामगारों के लिए वेतन बढ़ाएगा।

जेफ बेजोस ने कहा, “इसी समय, रेस्तरां और बार जैसे अन्य व्यवसायों को भी बंद करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हम आशा करते हैं कि, जिन लोगों का काम बंद कर दिया गया है वे हमारे साथ काम करेंगे जब तक कि वे नौकरियों में वापस जाने में सक्षम न हों।

कोरोनो वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी

बता दें कि, देश के अलग-अलग हिस्सों से ताजा मामले सामने आने के बाद सोमवार यानि 23 मार्च को दोपहर 2 बजे तक कोरोनो वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 429 हो गई। कुल मिलाकर दिल्ली, पटना, कर्नाटक, पंजाब और महाराष्ट्र से अब तक 41 विदेशी नागरिक और आठ मौत का मामला सामने आया है।

कोरोना वायरस (कोविड-19) का टेस्ट किट विकसित करने वाला पहला भारतीय लाइसेंस कंपनी बना अहमदाबाद का यह स्टार्टअप

CoSara ने 2014 में शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ खुद को संरेखित किया है। इसका लक्ष्य भारत को एक वैश्विक डिजाइन और विनिर्माण केंद्र में बदलना है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDVCO) द्वारा स्वीकृत की गई कोरोना वायरस टेस्ट किट, मूल रूप से को-डायग्नोस्टिक्स द्वारा डिज़ाइन की गई थी, जो कोविड-19 के निदान के लिए सीई अंकन प्राप्त करने वाली पहली यूएस-आधारित कंपनी है। आणविक नैदानिक परीक्षणों के विकास के लिए एक अद्वितीय, पेटेंट प्लेटफॉर्म के साथ, CoSara ने गुरुवार को घोषणा की कि, सह-निदान के साथ इस संयुक्त उद्यम के माध्यम से, यह भारतीय बाजार में इन किटों को बेचने और आसपास के क्षेत्रों में भी निर्यात करने की उम्मीद कर रहा है।

को-डायग्नोस्टिक्स के सीईओ ड्वाइट एगन ने कहा, “पेटेंटेड को प्राइमर तकनीक पर निर्मित उच्च-गुणवत्ता वाले परीक्षणों का दुनिया के सबसे बड़े हेल्थकेयर मार्केट के रूप में अनुमान लगाने पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि, हमारे संयुक्त उद्यम को-डायग्नोस्टिक्स को इस तरह की सफलता हासिल करने के लिए सम्मानित किया गया है।

CoSara ने 2014 में शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ खुद को संरेखित किया है। इसका लक्ष्य भारत को एक वैश्विक डिजाइन और विनिर्माण केंद्र में बदलना है। इसके बाद, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने लाइसेंस के लिए की जाने वाले अनुमोदन प्रक्रिया को तेज कर दिया है।

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सभी भारतीयों से कोरोनोवायरस से संक्रमित होने से बचने के लिए हर संभव प्रयास करने की अपील की। और साथ ही यह भी कहा कि दुनिया ने इस तरह के गंभीर खतरे को इससे पहले कभी नहीं देखा है।


प्रधानमंत्री मोदी ने 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे से ‘जनता कर्फ्यू’ का आह्वान करते हुए कहा कि आवश्यक कार्य अगर ना हो तो घर से बाहर ना निकलें। यही नहीं, मोदी ने एक राष्ट्रीय प्रसारण में कहा “यहां तक कि प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय ने भी दुनिया को इतना प्रभावित नहीं किया जितना कोरोना वायरस से हो रहा है।

उन्होंने लोगों से “उनके कुछ सप्ताह व उनके कुछ समय” का त्याग करने के लिए कहा। मोदी ने कहा कि कोरोनोवायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं है, सुरक्षित रहने का एकमात्र तरीका घर के अंदर रहना है। “मैं देश के सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे घर से तभी बाहर निकलें जब बेहद आवश्यक हो, कोशिश करें कि सभी काम घर से ही करें।

CoSara के निदेशक मोहाल साराभाई ने जानकारी दी कि, ” इस समय 52 सरकार द्वारा अनुमोदित परीक्षण सुविधाएं हैं और किट वितरित करना पहला लक्ष्य है, इसके अलावा कोविड-19 परीक्षण करने के लिए 60 मान्यता प्राप्त निजी प्रयोगशालाओं को लगाना है। कुल मिलाकर, हमारा लक्ष्य बाजार निजी होने के साथ-साथ सरकारी लैब भी होगा। ”

पिछले कुछ हफ्तों में, भारत ने अपने नागरिकों को वापस बुलाने, देश में यात्रा की व्यापक सीमा और अंततः देश की सीमाओं को बंद करने के लिए शुरुआती उपाय किए, जिससे 1.3 अरब की आबादी की सेवा के लिए स्वदेशी कोविड-19 परीक्षणों की मांग भी बढ़ गई है।

कोरोना वायरस के कारण ई-कॉमर्स पर लगे प्रतिबंधात्मक संचालन को मिले छूट, राज्यों को सरकार ने दिया आदेश

ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ अंतर-मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की, ताकि लॉक-डाउन स्थिति में भी सामान की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

भारत में कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने इस महामारी को रोकने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। सामाजिक तौर पर किये गए बदलावों के बाद अब सरकार ने शारीरिक तौर पर भी दूरी बनाये रखने को कहा है। साथ ही, सभी लोगों को अपने घरों के अंदर रहने के लिए भी कहा गया है। इन प्रतिबंधों के बाद, देश में दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं की मांग में वृद्धि दर्ज हुई है। हालांकि, सरकार के इस आदेश के पहले से ही लगभग पूरे भारत में घबराहट की स्थिति बनी हुई थी।

ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए, उपभोक्ता मामलों का विभाग कारवाई में जुट गया है। यह बताया गया कि, विभाग ने अब राज्यों से कहा है कि वे इस तरह की खरीद को रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक आदेशों से ई-कॉमर्स परिचालन को छूट दें और आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी भी सुनिश्चित करें।

शुक्रवार को उपभोक्ता मामला विभाग ने फ्लिप -कार्ट, अमेज़ॅन और स्नैपडील जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ अंतर-मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की, ताकि लॉक-डाउन स्थिति में भी सामान की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। यह छूट ई-कॉमर्स परिचालन, वेयर हाउसिंग, लॉजिस्टिक्स, थोक विक्रेताओं के विक्रेताओं और वितरण भागीदारों के लिए लागू होगी।

इसके अलावा, उपभोक्ता मामला विभाग ने ई-कॉमर्स फर्मों और उनके भागीदारों को अपनी सुविधाओं और वाहनों में उचित स्वच्छता बनाए रखने वाली बात पर भी जोर दिया है। साथ ही, यह भी कहा है कि इनका नियमित रूप से निरीक्षण और इन्हें कीटाणुरहित किया जा सके।

मालुम हो कि, अपने अंतिम सर्कुलर में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने पहले से ही ई-कॉमर्स फर्मों को कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए और कर्मचारियों और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी वितरण प्रक्रियाओं में स्वच्छता बनाए रखने के लिए कहा था।

वहीं, एक तरफ जहां ई-कॉमर्स प्रमुख कंपनी फ्लिपकार्ट ने इस कदम का स्वागत किया है और इस संकट में उपभोक्ताओं को सभी आवश्यक चीजें देने के लिए तैयार है। वहीं, दूसरी तरफ कई अन्य विक्रेता इस निर्णय से नाखुश भी हैं और हो सकता है वो कोरोना वायरस के डर के कारण ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस का समर्थन नहीं कर सकते हैं।

ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस के अलावा, किराने की फर्मों जैसे ग्रोफर्स और बिग बास्केट ने भी किराने और दैनिक जरूरतों की सामानों में अचानक वृद्धि की सूचना दी है। अनुमान है कि, ई-कॉमर्स की तरह किराने की कंपनियां भी कई राज्य सरकारों द्वारा किये गए निषेधात्मक आदेशों से छूट का अनुरोध कर सकती हैं।

ऑल इंडिया व्यापार संघ ने 20 मार्च को घोषणा किया है कि, आज यानि 21 मार्च से अगले तीन दिनों के लिए राजधानी दिल्ली में सभी बाजार बंद रहेंगे। संघ के महासचिव, प्रवीण खंडेलवाल के अनुसार, देश भर के व्यापारी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आह्वान किये गए जनता कर्फ्यू में भी भाग लेंगे।