भारतीय बैंकों के लिए कोरोना संकट बनी नोटबंदी से बड़ी चुनौती

कोरोना से कारोबार बंद होने की स्थिति में आने वाले समय में छोटी कंपनियों और कारोबारियों के डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में कोरोना संकट बैंकों के लिए नोटबंदी से बड़ी चुनौती बन सकता है।

आज कोरोना आपदा वैश्विक आधार ले चुकी है। भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। दुनिया के शक्तिशाली देश भी इस वायरस के आगे लाचार दिखते हैं। उत्पादन ह्रास, सामाजिक संत्रास, और आर्थिक मंदी विभीषिका का रूप ले चुके हैं। दुनिया ने सोचा ही नहीं था कि प्रगति के नाम पर ऐसे सर्वाधिकार प्राप्त देश वैश्विक आपदा पैदा करके विश्व को प्रलय (महाविनाश) का बोध करा देंगे। कोरोना ने मानव के विकास की पांच मौलिक आवश्यकताओं – स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, सम्पोषण एवं संप्रेषण को पूर्णतः ठप कर दिया है। साथ ही, इससे आर्थिक सुस्ती बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है।

कोरोना संकट से आर्थिक सुस्ती बढ़ने की आशंका के बीच भारतीय बैंकों के लिए नकदी का इंतजाम मुसीबत साबित हो सकता है। रिजर्व बैंक ने तीन माह तक ईएमआई टालने का निर्देश दिया है। जबकि, कोरोना से कारोबार बंद होने की स्थिति में आने वाले समय में छोटी कंपनियों और कारोबारियों के डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में कोरोना संकट बैंकों के लिए नोटबंदी से बड़ी चुनौती बन सकता है।

लगने वाले झटके का आकलन कर रहे बैंक

कितने कर्जदार कर्ज के भुगतान पर लगी पाबंदी का फायदा उठाने वाले हैं। बैंकर्स के लिए यह एक बड़ा सवाल है, जिससे वे जूझ रहे हैं। यदि कर्जदारों ने ब्याज और ईएमआई नहीं चुकाई, तो काफी बुरा असर पड़ सकता है। यदि बड़ी संख्या में कर्जदारों ने ईएमआई नहीं भरी, तो रिजर्व बैंक के इस कदम से मांग की आपूर्ति कर पाना कठिन होगा। 3 माह तक कर्ज की ईएमआई नहीं मिलने से बैंकों की आय पर असर पड़ने कई आशंका लगाई जा रही है।

बैंकों के पास ब्याज ही आय का जरिया

बैंकों की आमदनी कर्ज पर मिलने वाला ब्याज से होती है। जमाओं पर ब्याज और कर्ज पर मिलने वाले का मामूली अंतर ही बचता है। बैंक अभी एफडी पर करीब 5.75 प्रतिशत ब्याज दे रहे हैं। जबकि करीब 7.75 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज दे रहे हैं। इस दो फीसदी के अंतर में भी खर्च काटकर बैंकों के पास एक फीसदी से भी कम बचता है।

बैंकों को आरबीआई से मदद की दरकार

विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति उन बैंकों के लिए गंभीर है, जिनका कर्ज जमा (सीडी) अनुपात अधिक है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक को बैंकों को कर्ज देने के विषय में सोचना पड़ेगा। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था में नकदी का बड़ा संकट पैदा हो सकता है।

म्यूच्यूअल फंड उद्योग के लिए बड़ा अवसर

ब्याज घटने और शेयर बाजार में गिरावट से निवेशक म्यूचुअल फंड की ओर जा सकते हैं। मौजूदा हालात में अभी म्यूचुअल फंड के इक्विटी फंड में निवेश करने से निवेशकों को बचना चाहिए। निवेश से पहले जोखिम, क्षेत्र की स्थिति जरूर देखें।

घबराहट में एफडी को तोड़ना समझदारी नहीं

एफडी पर ब्याज घटने के बावजूद किसी घबराहट में उसे समय से पहले खत्म करने से परहेज करें। एक्सपर्ट का कहना है कि एफडी हर हाल में सुरक्षित है। ऐसे में एफडी बीच में खत्म करने और उसे शेयर बजार या किसी अन्य वित्तीय उत्पाद में निवेश करने से बचें।

दुनियाभर में तेजी के साथ फैल रहे घातक कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसके चलते वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग और आपूर्ति दोनों पर असर पड़ा है। अनुमान लगाया जा रहा कि, इससे भारतीय बैंकों को नोटबंदी से भी अधिक असर पड़ सकता है।