MSME लोन के लिए करना है आवेदन तो स्टेप बाय स्टेप फॉलो करना होगा यह आसान प्रोसेस

कई सारे लोगों को लॉकडाउन के बीच अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में सरकार ने आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों के लिए लोन की प्रक्रिया भी शुरू की है। MSME लोन यानि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम लोन आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों को ही दिए जाते हैं। और, ख़ास बात यह है कि इस लोन की चुकौती का समय अलग-अलग-कर्जदाता के हिसाब से अलग-अलग होती है

कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लोगों को कई सारे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें मुश्किलों में सबसे मुख्य है, “नौकरी की समस्या” कई सारे लोगों को इस बीच अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में सरकार ने आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों के लिए लोन की प्रक्रिया भी शुरू की है।

MSME लोन यानि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम लोन आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों को ही दिए जाते हैं। और, ख़ास बात यह है कि इस लोन की चुकौती का समय अलग-अलग-कर्जदाता के हिसाब से अलग-अलग होती है। ब्याज दरों की पेशकश, आवेदक की प्रोफ़ाइल ? पिछले समय में व्यवसाय कैसा रहा है ? और, रीपेमेंट कैसा रहा है ? इस सभी बातों के आधार पर तय होती है।

बैंक और एनबीएफसी MSME लोन के लिए कुछ पात्रता मानदंड रखते हैं। वैसे MSME लोन को भी असुरक्षित लोन कहा जाता है। हाल ही में सरकार ने MSME की परिभाषा बदली है। अगर आप भी MSME लोन के लिए अप्लाई करना चाहते हैं तो आपको क्या करना चाहिए।

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जानिए ये आसान प्रोसेस

  1. सबसे पहले, MSME के रजिस्ट्रेशन के लिए नेशनल पोर्टल Udyogaadhaar.gov.in वेबसाइट पर जाएं।
  2. आधार नंबर, उद्यमी का नाम और डिटेल दर्ज करें, इसके बाद ओटीपी जनरेट करने वाले बटन पर क्लिक करें।
  3. आपके आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर पर एक OTP जाएगा। अपना OTP भरें और “Validate” पर क्लिक करें, इसके बाद आपको एक आवेदन फॉर्म दिखाई देगा।
  4. आवश्यक सभी डिटेल दर्ज करें।
  5. आवेदन पत्र में सभी आवश्यक डिटेल भरने के बाद “सबमिट” पर क्लिक करें।
  6. “सबमिट” बटन पर क्लिक करने के बाद, पेज पूछेगा कि क्या आपने सही तरीके से सभी डेटा दर्ज किया है। पुष्टि करने के लिए “ओके” पर क्लिक करें।
  7. उसके बाद, आपको फिर से आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी मिलेगा। ओटीपी भरें और आवेदन पत्र जमा करने के लिए “अंतिम सबमिट” पर क्लिक करें।
  8. अब आपको रजिस्ट्रेशन संख्या दिखेगा, इसे आगे के काम के लिए नोट कर लें।

लोन के आवेदन के लिए जरुरी दस्तावेज

  • पहचान प्रमाण के लिए आपको पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र की आवश्यकता होगी।
  • रेजिडेंस प्रूफ के लिए आपको पासपोर्ट, लीज एग्रीमेंट, ट्रेड लाइसेंस, टेलीफोन और बिजली बिल, राशन कार्ड और सेल्स टैक्स सर्टिफिकेट में से किसी एक की आवश्यकता होगी।
  • आयु प्रमाण के लिए पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, फोटो पैन कार्ड की जरुरत पड़ेगी।

MSME लोन के लिए जरुरी वित्तीय दस्तावेज

  1. पिछले 12 महीनों का बैंक स्टेटमेंट
  2. व्यवसाय रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
  3. प्रोपराइटर (एस) पैन कार्ड कॉपी
  4. कंपनी पैन कार्ड कॉपी
  5. पिछले 2 वर्षों की प्रॉफिट एंड लॉस की बैलेंस शीट कॉपी
  6. सेल टैक्स दस्तावेज
  7. नगर कर दस्तावेज़

कौन-कौन से बैंकों में है MSME लोन की सुविधा

  • भारतीय स्टेट बैंक
  • एचडीएफसी बैंक
  • इलाहाबाद बैंक
  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
  • आईसीआईसीआई बैंक
  • बजाज फिनसर्व
  • ओरिएंटल बैंऑफ इंडिया

आपको बता दें कि, 1 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की परिभाषा में बदलाव को मंजूरी दे दी गई है। इस बैठक के बाद से मध्यम उद्यमों के लिए टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये किया गया है।

भारतीय बैंकों के लिए कोरोना संकट बनी नोटबंदी से बड़ी चुनौती

कोरोना से कारोबार बंद होने की स्थिति में आने वाले समय में छोटी कंपनियों और कारोबारियों के डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में कोरोना संकट बैंकों के लिए नोटबंदी से बड़ी चुनौती बन सकता है।

आज कोरोना आपदा वैश्विक आधार ले चुकी है। भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। दुनिया के शक्तिशाली देश भी इस वायरस के आगे लाचार दिखते हैं। उत्पादन ह्रास, सामाजिक संत्रास, और आर्थिक मंदी विभीषिका का रूप ले चुके हैं। दुनिया ने सोचा ही नहीं था कि प्रगति के नाम पर ऐसे सर्वाधिकार प्राप्त देश वैश्विक आपदा पैदा करके विश्व को प्रलय (महाविनाश) का बोध करा देंगे। कोरोना ने मानव के विकास की पांच मौलिक आवश्यकताओं – स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, सम्पोषण एवं संप्रेषण को पूर्णतः ठप कर दिया है। साथ ही, इससे आर्थिक सुस्ती बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है।

कोरोना संकट से आर्थिक सुस्ती बढ़ने की आशंका के बीच भारतीय बैंकों के लिए नकदी का इंतजाम मुसीबत साबित हो सकता है। रिजर्व बैंक ने तीन माह तक ईएमआई टालने का निर्देश दिया है। जबकि, कोरोना से कारोबार बंद होने की स्थिति में आने वाले समय में छोटी कंपनियों और कारोबारियों के डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में कोरोना संकट बैंकों के लिए नोटबंदी से बड़ी चुनौती बन सकता है।

लगने वाले झटके का आकलन कर रहे बैंक

कितने कर्जदार कर्ज के भुगतान पर लगी पाबंदी का फायदा उठाने वाले हैं। बैंकर्स के लिए यह एक बड़ा सवाल है, जिससे वे जूझ रहे हैं। यदि कर्जदारों ने ब्याज और ईएमआई नहीं चुकाई, तो काफी बुरा असर पड़ सकता है। यदि बड़ी संख्या में कर्जदारों ने ईएमआई नहीं भरी, तो रिजर्व बैंक के इस कदम से मांग की आपूर्ति कर पाना कठिन होगा। 3 माह तक कर्ज की ईएमआई नहीं मिलने से बैंकों की आय पर असर पड़ने कई आशंका लगाई जा रही है।

बैंकों के पास ब्याज ही आय का जरिया

बैंकों की आमदनी कर्ज पर मिलने वाला ब्याज से होती है। जमाओं पर ब्याज और कर्ज पर मिलने वाले का मामूली अंतर ही बचता है। बैंक अभी एफडी पर करीब 5.75 प्रतिशत ब्याज दे रहे हैं। जबकि करीब 7.75 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज दे रहे हैं। इस दो फीसदी के अंतर में भी खर्च काटकर बैंकों के पास एक फीसदी से भी कम बचता है।

बैंकों को आरबीआई से मदद की दरकार

विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति उन बैंकों के लिए गंभीर है, जिनका कर्ज जमा (सीडी) अनुपात अधिक है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक को बैंकों को कर्ज देने के विषय में सोचना पड़ेगा। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था में नकदी का बड़ा संकट पैदा हो सकता है।

म्यूच्यूअल फंड उद्योग के लिए बड़ा अवसर

ब्याज घटने और शेयर बाजार में गिरावट से निवेशक म्यूचुअल फंड की ओर जा सकते हैं। मौजूदा हालात में अभी म्यूचुअल फंड के इक्विटी फंड में निवेश करने से निवेशकों को बचना चाहिए। निवेश से पहले जोखिम, क्षेत्र की स्थिति जरूर देखें।

घबराहट में एफडी को तोड़ना समझदारी नहीं

एफडी पर ब्याज घटने के बावजूद किसी घबराहट में उसे समय से पहले खत्म करने से परहेज करें। एक्सपर्ट का कहना है कि एफडी हर हाल में सुरक्षित है। ऐसे में एफडी बीच में खत्म करने और उसे शेयर बजार या किसी अन्य वित्तीय उत्पाद में निवेश करने से बचें।

दुनियाभर में तेजी के साथ फैल रहे घातक कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसके चलते वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग और आपूर्ति दोनों पर असर पड़ा है। अनुमान लगाया जा रहा कि, इससे भारतीय बैंकों को नोटबंदी से भी अधिक असर पड़ सकता है।