MSME लोन के लिए करना है आवेदन तो स्टेप बाय स्टेप फॉलो करना होगा यह आसान प्रोसेस

कई सारे लोगों को लॉकडाउन के बीच अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में सरकार ने आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों के लिए लोन की प्रक्रिया भी शुरू की है। MSME लोन यानि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम लोन आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों को ही दिए जाते हैं। और, ख़ास बात यह है कि इस लोन की चुकौती का समय अलग-अलग-कर्जदाता के हिसाब से अलग-अलग होती है

कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लोगों को कई सारे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें मुश्किलों में सबसे मुख्य है, “नौकरी की समस्या” कई सारे लोगों को इस बीच अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में सरकार ने आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों के लिए लोन की प्रक्रिया भी शुरू की है।

MSME लोन यानि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम लोन आमतौर पर स्टार्टअप और छोटे व्यवसाय उद्यमियों को ही दिए जाते हैं। और, ख़ास बात यह है कि इस लोन की चुकौती का समय अलग-अलग-कर्जदाता के हिसाब से अलग-अलग होती है। ब्याज दरों की पेशकश, आवेदक की प्रोफ़ाइल ? पिछले समय में व्यवसाय कैसा रहा है ? और, रीपेमेंट कैसा रहा है ? इस सभी बातों के आधार पर तय होती है।

बैंक और एनबीएफसी MSME लोन के लिए कुछ पात्रता मानदंड रखते हैं। वैसे MSME लोन को भी असुरक्षित लोन कहा जाता है। हाल ही में सरकार ने MSME की परिभाषा बदली है। अगर आप भी MSME लोन के लिए अप्लाई करना चाहते हैं तो आपको क्या करना चाहिए।

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जानिए ये आसान प्रोसेस

  1. सबसे पहले, MSME के रजिस्ट्रेशन के लिए नेशनल पोर्टल Udyogaadhaar.gov.in वेबसाइट पर जाएं।
  2. आधार नंबर, उद्यमी का नाम और डिटेल दर्ज करें, इसके बाद ओटीपी जनरेट करने वाले बटन पर क्लिक करें।
  3. आपके आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर पर एक OTP जाएगा। अपना OTP भरें और “Validate” पर क्लिक करें, इसके बाद आपको एक आवेदन फॉर्म दिखाई देगा।
  4. आवश्यक सभी डिटेल दर्ज करें।
  5. आवेदन पत्र में सभी आवश्यक डिटेल भरने के बाद “सबमिट” पर क्लिक करें।
  6. “सबमिट” बटन पर क्लिक करने के बाद, पेज पूछेगा कि क्या आपने सही तरीके से सभी डेटा दर्ज किया है। पुष्टि करने के लिए “ओके” पर क्लिक करें।
  7. उसके बाद, आपको फिर से आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी मिलेगा। ओटीपी भरें और आवेदन पत्र जमा करने के लिए “अंतिम सबमिट” पर क्लिक करें।
  8. अब आपको रजिस्ट्रेशन संख्या दिखेगा, इसे आगे के काम के लिए नोट कर लें।

लोन के आवेदन के लिए जरुरी दस्तावेज

  • पहचान प्रमाण के लिए आपको पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र की आवश्यकता होगी।
  • रेजिडेंस प्रूफ के लिए आपको पासपोर्ट, लीज एग्रीमेंट, ट्रेड लाइसेंस, टेलीफोन और बिजली बिल, राशन कार्ड और सेल्स टैक्स सर्टिफिकेट में से किसी एक की आवश्यकता होगी।
  • आयु प्रमाण के लिए पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, फोटो पैन कार्ड की जरुरत पड़ेगी।

MSME लोन के लिए जरुरी वित्तीय दस्तावेज

  1. पिछले 12 महीनों का बैंक स्टेटमेंट
  2. व्यवसाय रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
  3. प्रोपराइटर (एस) पैन कार्ड कॉपी
  4. कंपनी पैन कार्ड कॉपी
  5. पिछले 2 वर्षों की प्रॉफिट एंड लॉस की बैलेंस शीट कॉपी
  6. सेल टैक्स दस्तावेज
  7. नगर कर दस्तावेज़

कौन-कौन से बैंकों में है MSME लोन की सुविधा

  • भारतीय स्टेट बैंक
  • एचडीएफसी बैंक
  • इलाहाबाद बैंक
  • सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
  • आईसीआईसीआई बैंक
  • बजाज फिनसर्व
  • ओरिएंटल बैंऑफ इंडिया

आपको बता दें कि, 1 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की परिभाषा में बदलाव को मंजूरी दे दी गई है। इस बैठक के बाद से मध्यम उद्यमों के लिए टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये किया गया है।

इस बिज़नेस में होगी सालाना 10 लाख रुपए की कमाई, शुरुआत करने के लिए केंद्र सरकार की भी मिलेगी मदद

आज हम आपको ऐसे एक बिज़नेस के बारे में बता रहे हैं, जिसमें निवेश ज्यादा होने के साथ ही मुनाफा भी ज्यादा मिल रहा है। और, दूसरी बात यह है कि यह बिज़नेस MSME स्कीम से भी जुड़ा हुआ है मतलब इसके तहत बिज़नेस शुरु करने पर केंद्र सरकार से मदद भी मिलती है। सरकार से बिज़नेस स्ट्रक्चर के हिसाब से आपको इस बिज़नेस से सालाना 10 लाख रुपए तक प्रॉफिट हो सकता है।

देश भर में फैले कोरोना वायरस की वजह से कई सारे लोगों को अपना रोज़गार गंवाना पड़ा है। ऐसी स्थिति में लोगों के बीच अब खुद की रोजगार की ललक बढ़ती दिखाई दे रही है। और हो भी क्यूं ना। दरअसल, बिजनेस एक ऐसा पेशा है जिसका क्रेज हर जमाने में लोगों के बीच रहा है। चूंकि, किसी भी बिजनेस को शुरु करने में सबसे पहले निवेश की जरुरत पड़ती है इसलिए आपके मन में भी यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर पैसे कितने लगेगें ? और, मुनाफा कितना होगा ? तो घबराईए नहीं, हम आपके इन सभी सवालों का जवाब लेकर आये हैं।

अन्य देशों की तरह भारत में भी बीते कुछ सालों से युवाओं के बीच नौकरी की छोड़कर स्टार्ट अप अपना खुद का बिज़नेस शुरु करने का क्रेज देखा गया है। जैसा कि आप भी जानते होंगे कि किसी भी कारोबार को शुरु करने में होने वाले निवेश और उससे आने वाली मुनाफे की खासी अहमियत होती है।

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आज हम आपको ऐसे एक बिज़नेस के बारे में बता रहे हैं, जिसमें निवेश ज्यादा होने के साथ ही मुनाफा भी ज्यादा मिल रहा है। और, दूसरी बात यह है कि यह बिज़नेस MSME स्कीम से भी जुड़ा हुआ है मतलब इसके तहत बिज़नेस शुरु करने पर केंद्र सरकार से मदद भी मिलती है। सरकार से बिज़नेस स्ट्रक्चर के हिसाब से आपको इस बिज़नेस से सालाना 10 लाख रुपए तक प्रॉफिट हो सकता है।

शुरू करें यह बिजनेस

जैसा कि आप जानते है, भारत में इस समय ट्रेंडी और स्टाइलिस फुटवियर की डिमांड काफी बढ़ी हुई है। फुटवियर की बढ़ती डिमांड के बीच इस सेक्टर में आप अच्छा करियर बना सकते हैं। मतलब, आप फुटवियर की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। इस बिज़नेस में पॉजिटिव बात यह है कि, डिमांड काफी रहने से आपका कारोबार सफल होने की उम्मीद भी ज्यादा है। इतना ही नहीं, इसमें खास बात है कि इस बिजनेस के लिए सरकार अपनी मुद्रा स्कीम के तहत कारोबारियों को सपोर्ट भी कर रही है।

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बिजनेस कॉस्ट को समझिए

आइए समझते हैं, फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस शुरू होने में पूरा खर्च तो वैसे 41.32 लाख रुपए आंका गया है। लेकिन, घबराने की जरुरत नहीं है क्यूँकि इसमें से आपको खुद के पास से सिर्फ 16.32 लाख रुपए ही निवेश करना होगा।

जमीन- 4 लाख रुपए
बिल्डिंग- 8 लाख रुपए
प्लांट एंड मशीनरी- 19,85,990 रुपए
इलेक्ट्रिफिकेशन- 96,610 रुपए
प्री ऑपरेशन खर्च- 35,000 रुपए
अन्य खर्च- 33,000 रुपए
वर्किंग कैपिटल- 7,81,450 रुपए
कुल- 41,32,050 रुपए

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लोन देकर सपोर्ट करेगी सरकार

वर्किंग कैपिटल लोन – 3 लाख रुपए
टर्म लोन – 22 लाख रुपए

ये सरकारी लोन मुद्रा स्कीम के तहत किसी भी बैंक से आसानी से हो जाएगा।

जानिए कैसे होगा प्रॉफिट

16.32 लाख रुपए के निवेश पर जो एस्टीमेट तैयार किया गया है, उस लिहाज से मंथली टर्नओवर 9,07,050 रुपए हो सकता है।

कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन – 8,26,080 रुपए मंथली
नेट प्रॉफिट – 80,970 रुपए मंथली
सालाना बिक्री – 108.90 लाख रुपए
सालाना प्रॉफिट – 9.72 लाख रुपए

छात्रों को घर बैठे आसानी से शिक्षा उपलब्ध करा रहा पॉकेट स्टडी एप

पॉकेट स्टडी एक मोबाइल ऐप आधारित पढ़ाने और सीखने का ऑनलाइन प्लेटफार्म है। यहां एक तरफ जहां, शिक्षक कंटेंट को ऑडियो फ्लैशकार्ड, वीडियो और लर्निंग मेटेरियल के रूप में शेयर कर सकते हैं। वहीँ, दूसरी तरफ छात्र ऐप के माध्यम से किसी भी समय इस लर्निंग मेटेरियल का उपयोग कर सकेंगे

जब तक कोरोना का वैक्सीन ना बन जाए तब तक तो कोरोनावायरस की स्थिति कभी ना ख़त्म होने जैसी ही लगती है। इस दौरान, वर्चुअल एजुकेशन दुनिया भर में काफी बड़ी चीज होने वाली है। मतलब, ई-लर्निंग इस उद्योग के लिए बहुत बड़ा लाभ साबित होने वाला है।

इसी तरह का एक मोबाइल ऐप है पॉकेट स्टडी, जो ई-लर्निंग अनुभव को बढ़ाने और छात्रों व शिक्षकों के बीच के अंतर को कम करने के लिए काम कर रहा है।

पॉकेट स्टडी क्या है ?

पॉकेट स्टडी एक मोबाइल ऐप आधारित पढ़ाने और सीखने का ऑनलाइन प्लेटफार्म है। यहां एक तरफ जहां, शिक्षक कंटेंट को ऑडियो फ्लैशकार्ड, वीडियो और लर्निंग मेटेरियल के रूप में शेयर कर सकते हैं। वहीँ, दूसरी तरफ छात्र ऐप के माध्यम से किसी भी समय इस लर्निंग मेटेरियल का उपयोग कर सकेंगे। इन मेटेरियल के साथ-साथ, पढाई को और आसान बनाने के लिए इस प्लेटफॉर्म पर छात्रों के लिए वर्चुअल क्लासेज भी आयोजित की जा रही हैं।

इस पहल के पीछे के लोगों को जानिए 

पॉकेट स्टडी की स्थापना रचित दवे, रुतविज वोरा और राज कोठारी ने की है। ये तीनों संस्थापक बिड़ला विश्वकर्मा महाविद्यालय, आनंद (गुजरात) से इंजीनियरिंग स्नातक हैं। पॉकेट स्टडी को लॉन्च करने से पहले, इन्होंने MyClassCampus को भी लॉन्च किया है, जो शिक्षण संस्थानों को डिजिटल होने में मदद करने के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम है।

दूसरे प्रोडक्ट से कैसे अलग है पॉकेट स्टडी?  जानिए इसके ख़ास उपलब्धि

बाजार में इस तरह के कई ट्रेडिशनल शिक्षण प्रबंधन प्रणालियां हैं। हालाँकि, पॉकेट स्टडी का उद्देश्य मोबाइल ऐप्स के माध्यम से लर्निंग मेटेरियल को सबसे आसान और प्रभावी तरीके से बनाना और साझा करना है। इसमें शॉर्ट रिवीजन केंद्रित फ्लैशकार्ड बनाने के लिए एक दिलचस्प ऑडियो तकनीक है जो ई-शिक्षा उद्योग में भी अद्वितीय है। इसके अलावा, एक दिलचस्प इंटरैक्टिव वर्चुअल क्लासरूम मॉड्यूल है जहां शिक्षक लाइव इंटरेक्टिव कक्षाएं ले सकते हैं।

आजकल देश और दुनिया में कोरोनावायरस की वजह से स्कूल और कोचिंग क्लासेस ऑनलाइन शिक्षण के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं जो कि मुख्य रूप से शैक्षिक संस्थान केंद्रित नहीं हैं इसलिए अंततः MyClassCampus ने हर प्रकार के शिक्षण संस्थानों के लिए ऑनलाइन शिक्षण टूल का विकसित करने की कोशिश की है जहाँ शिक्षक ऑडियो के रूप में लर्निंग मेटेरियल अपलोड कर सकते हैं। इतना ही नहीं, इस टूल में वीडियो, फ्लैशकार्ड के अलावा शिक्षक लाइव कक्षाएं भी ले सकते हैं। मीटिंग आईडी और पासवर्ड साझा करने की कोई परेशानी नहीं है, यहां तक ​​कि ऑनलाइन लेक्चर वीडियो भी रिकॉर्ड किए जा सकते हैं और छात्रों के साथ शेयर भी किए जा सकते हैं यदि किसी ने क्लास या लेक्चर मिस किया हो।

MyClassCampus – ऑनलाइन शिक्षण के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉफ्टवेयर

पॉकेट स्टडी के आईडिया को जमीनी स्तर पर लाने के पीछे क्या विचार था? क्या कोई चुनौतियां थीं?

पॉकेट स्टडी के आईडिया को जमीनी स्तर पर लाने के लिए उनके दिमाग में कई विचार आए। हालांकि, ये तीनों फाउंडर एक ऐसा प्लेटफार्म का निर्माण करना चाहते थे, जो शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों के लिए एक आसान और सुलभ हो और एजुकेशन एप्लिकेशन के बीच पसंदीदा हो। यह विचार एक ऐसा प्लेटफॉर्म लाने का था जो क्विक क्वालिटी रिवीजन सेंट्रिक कंटेंट हो और हर जगह उपयोग किया जा सके।

फाउंडर कहते हैं कि,

“हमलोग कुछ ऐसा प्लेटफार्म बनाना चाहते थे जो टीचर्स के लिए कंटेंट बनाने और शेयर करने में आसान हो। आसान और इंटरेस्टिंग इंटर्फ़ेस के साथ एक मापनीय तकनीक का निर्माण सबसे बड़ी चुनौती थी। हालांकि, अत्यधिक मेहनत और लाखों यूजर्स की मदद की चाह ने इसे संभव बनाया। “

क्या फिलहाल किसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?

मूल रूप से, भारत में लाखों शैक्षणिक संगठन हैं। सीमित मार्केटिंग बजट और छोटे कंपनी होने के नाते कई पोटेंशियल यूज़र्स तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है। फिलहाल, हमारी एकमात्र चुनौती देश भर में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने और छात्रों की मदद करने में सक्षम होना है।

पॉकेट स्टडी अस्तित्व में कैसे आई?

“शैक्षिक संगठनों को MyClassCampus को बढ़ावा देने के दौरान, हमने महसूस किया कि शिक्षक छात्रों के साथ लर्निंग मेटेरियल को साझा करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिए उनके पास उचित रूप से व्यवस्थित प्लेटफॉर्म की पहुंच नहीं है। वे जरुरी सामग्री साझा करने के लिए Google ड्राइव, व्हाट्सएप या ईमेल का उपयोग करते हैं। ” जबकि, छात्रों के पास वीडियो प्लेटफ़ॉर्म सीखने आदि की पहुंच है। लेकिन वो लर्निंग मेटेरियल लंबे हैं और किसी ख़ास फॉर्मेट में है। इस प्रकार, वे क्विक रिवीजन की जरूरतों आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाते हैं।

इसलिए, इस गैप को ख़त्म करने के लिए यह प्लेटफार्म इस समय की ज़रूरत थी। इसके लिए, कोविड-19 लॉकडाउन से पहले ही काम शुरू किया गया था। आगे उन्होंने कहा कि,

“कोविड के दौरान होने वाली लॉकडाउन ने हमारे कॉन्फिडेंस को बूस्ट किया और हमने इसके लिए जीतोड़ मेहनत किया और इस अप्रैल के महीने में लॉन्च किया। हमलोग के लिए आश्चर्य की बात तो तब हुई जब दो सप्ताह के भीतर ही इस हम 25,000 यूज़र्स को क्रॉस कर गए, और साप्तहिक 3 लाख से अधिक एप डाउनलोड होने लगे।”

पॉकेट स्टडी इस लॉकडाउन अवधि में छात्रों के लिए एक वरदान रही है और उम्मीद है कि भविष्य में भी इसी तरह से आश्चर्यजनक रूप से काम करती रहेगी।

कंपनी का नाम: हेक्सागॉन इन्नोवेशंस प्रा. लि.

प्रोडक्ट का नाम:

1.माय क्लास कैंपस: स्कूल / इंस्टिट्यूट मैनेजमेंट के लिए सभी कुछ एक ही ईआरपी सॉफ्टवेयर में
2. पॉकेट स्टडी: आसानी से पढ़ने और सीखने वाली एप

प्लेस्टोर लिंक: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.myclasscampus.pocketstudy

वेबसाइट लिंक: https://pocketstudy.app/product

1. माय क्लास कैंपस: https://www.myclasscampus.com
2. पॉकेट स्टडी: https://pocketstudy.app

Indiabulls: 21 करोड़ डोनेट किया तो 2000+ कर्मचारियों को निकाला क्यूं?, सोशल मीडिया पर विरोधों की बौछार

हाउसिंग फाइनेंस कंपनी इंडियाबुल्स ने पीएम केयर फंड में 21 करोड़ रुपये डोनेट की है। चलिए, ये तो अच्छी बात है लोगों को पीएम केयर फंड में दान करना भी चाहिए। दरअसल खबर यह नहीं है, खबर है कि इसके बाद कंपनी ने अपने लगभग 2,000 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है, वो भी बिना किसी नोटिस के।

हाउसिंग फाइनेंस कंपनी इंडियाबुल्स ने पीएम केयर फंड में 21 करोड़ रुपये डोनेट की है। चलिए, ये तो अच्छी बात है लोगों को पीएम केयर फंड में दान करना भी चाहिए। दरअसल खबर यह नहीं है, खबर है कि इसके बाद कंपनी ने अपने लगभग 2,000 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है, वो भी बिना किसी नोटिस के। आप भी यही सोच रहे होंगे ना कि 21 करोड़ डोनेट किया तो 2000+ कर्मचारियों को निकाला क्यूं? यदि कर्मचारी को सैलरी देने के पैसे नहीं थे तो 21 करोड़ डोनेट क्यूं किया ?

Indiabulls_Forcing__For_Resign हैशटैग के साथ निकाले गए एक कर्मचारी ने लिखा कि, वायरस से पहले टेंशन और डिप्रेशन ही वैसे कर्मचारियों को मार देगा जो बिना किसी क्लैरीफिकेशन और नोटिस के वॉट्सएप्प कॉल पर कंपनी से निकाले गए हैं। इस कोरोना काल में कंपनियों के अमानवीय बर्ताव के कारण ही लोग अपने होमटाउन लौट रहे हैं।

#indiabullsHarashing के साथ एक अन्य कर्मचारी ने लिखा कि, आज हमलोग को कंपनी मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है। बिना किसी भी सूचना कंपनी से यह कहते हुए कि मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, मैं अगले महीने से वेतन देने में असमर्थ हूं…. मानसिक रूप से हमें परेशान कर रहे हैं।”

Swigyy अब खाने की तरह शराब की भी कर रही होम डिलीवरी, ऑर्डर करने से पहले जान लें ये बातें

शराब पीना है लेकिन कोरोना की वजह से बाहर नहीं जाना चाहते हैं। जी हां, अब बिलकुल ऐसा सोच सकते हैं आप। अब ग्राहक घर बैठे ऑनलाइन शराब के लिए ऑर्डर कर सकते हैं और चंद मिनटों में शराब आपके घर पर पहुँच जायेगी। क्यूँकि, फूड ऑर्डरिंग व डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (Swiggy) ने गुरुवार से शराब की भी होम डिलीवरी शुरु कर दी है।

शराब पीना है लेकिन कोरोना की वजह से बाहर नहीं जाना चाहते हैं। जी हां, अब बिलकुल ऐसा सोच सकते हैं आप। अब ग्राहक घर बैठे ऑनलाइन शराब के लिए ऑर्डर कर सकते हैं और चंद मिनटों में शराब आपके घर पर पहुँच जायेगी। क्यूँकि, फूड ऑर्डरिंग व डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी (Swiggy) ने अब शराब की भी होम डिलीवरी शुरु कर दी है।

दरअसल, स्विगी ने गुरुवार को जानकारी दी कि, कंपनी अब शराब की होम डिलीवरी भी करेगी। कंपनी ने गुरुवार से झारखंड के रांची शहर में यह सेवा शुरू कर दी है। स्वि​गी का दावा है कि, इसके लिए उसे राज्य सरकार से भी जरूरी मंजूरी मिल गई है।

दूसरे राज्यों में भी जल्द शुरु होगी शराब की होम डिलीवरी

स्विगी ने एक बयान में कहा कि, “रांची में घरों तक शराब की आपूर्ति का काम शुरू हो गया है, राज्य के अन्य शहरों में भी एक सप्ताह के भीतर यह काम शुरू हो जाएगा। दूसरे राज्यों में ‘ऑनलाइन ऑर्डर’ पूरा करने और उसकी ‘होम डिलीवरी’ के लिए संबंधित राज्य सरकारों से भी बातचीत कर रही है।

ऑर्डर करने से पहले करने होंगे ये वेरिफिकेशन

शराब की होम डिलीवरी को लेकर जरुरी नियमों के पालन और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने कई उपाय किये हैं। शराब की होम डिलीवरी के लिए आपको पहले उम्र वेरिफिकेशन और अन्य कई ऑथेन्टिकेशन करने होंगे। इतना ही नहीं, ग्राहकों को पहले अपने वैलिड पहचान पत्र की एक कॉपी अपलोड कर उम्र की वेरिफिकेशन करानी होगी। इसके बाद उन्हें एक सेल्फी भेजनी होगी, जिसे कंपनी आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस सिस्टम (AI Systems) के जरिए वेरिफाई करेगी।

नियमों के मुताबिक ही कर सकेंगे शराब का ऑर्डर

इस सुविधा का लाभ लेने के लिए रांची में कस्टमर्स अपने स्विगी ऐप में ‘Wine Shops’ कैटेगरी में जाकर ऑर्डर कर सकते हैं। सभी ऑडर्स के साथ एक OTP भी दिया जाएगा, जिसे डिलीवरी के समय पर वेरिफाई करना होगा। इसके अलावा, ऑर्डर की ​क्वांटिटी को लेकर भी कैपिंग की सुविधा है ताकि कोई ग्राहक जरूरी प्रावधानों से अधिक शराब न खरीद सके। हालांकि, यह राज्यों द्वारा तय नियमों के आधार पर होगा।

आपको बता दें कि, कंपनी किराना सामानों और कोविड-19 राहत उपायों का दायर बढ़ाने जैसी पहल के लिये पहले से ही स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है। Swiggy द्वारा दिए गए बयान के मुताबिक़, कंपनी के पास प्रौद्योगिकी और ढांचागत सुविधा है जिससे वह छोटे-छोटे गली-मोहल्ले में भी सामानों की आपूर्ति कर सकती है। स्विगी ने स्पष्ट किया है कि, राज्य सरकारों के दिशानिर्देश के अनुसार लाइसेंस और अन्य जरूरी दस्तावाजों का सत्यापन करने के बाद ही अधिकृत खुदरा दुकानदारों के साथ यह गठजोड़ किया गया है।

लॉकडाउन में रेल के बाद अब फ्लाइट को भी मिली हरी झंडी लेकिन नहीं लें फ्लाइट टिकट, ये हैं 5 बड़ी वजहें

लॉकडाउन 4.0 में केंद्र सरकार ने भारी दबाव के बीच अब डोमेस्टिक फ्लाइट सेवा को भी मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि, अगले सोमवार से फ्लाइटें दोबारा शुरू करने की घोषणा कर दी गई है। केंद्र सरकार का यह फैसला अलग-अलग राज्यों में फंसे लोगों के लिए राहत भरी खबर है। लेकिन, इस बीच एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समय फिलहाल फ्लाइटों में नहीं जाना ही एक सही कदम है।

लॉकडाउन 4.0 में केंद्र सरकार ने भारी दबाव के बीच अब डोमेस्टिक फ्लाइट सेवा को भी मंजूरी दे दी है। आपको बता दें कि, अगले सोमवार यानी 25 मई से फ्लाइटें दोबारा शुरू करने की घोषणा कर दी गई है। केंद्र सरकार यह फैसला अलग-अलग राज्यों में फंसे लोगों के लिए राहत भरी खबर है। फंसे लोगों के अलावा, लॉकडाउन में फंसे कई अन्य लोग भी अपने आपको तरोताजा करने के लिए भी अब दूसरे शहरों में जाने की योजना बना रहे होंगे। लेकिन, इस बीच एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समय फिलहाल फ्लाइटों में नहीं जाना ही एक सही कदम है।

5 बड़ी वजहें जो आपको अपने प्लान पर दोबारा सोचने पर मजबूर कर देगी..

1. दिल्ली से बेंगलुरु का किराया लंदन के किराए बराबर

देश की एक बड़ी ट्रैवल वेबसाइट के अनुसार इस समय आपको दिल्ली से बेंगलुरु जाने के लिए फ्लाइट में 20 हजार रुपये से भी ज्यादा किराया देना पड़ेगा। किसी सामान्य दिन में इस कीमत पर आप दिल्ली से लंदन की फ्लाइट बुक करा सकते हैं। एक टूर ऑपरेटर के मुताबिक शुरूआती पहले हफ्ते में ज्यादातर फ्लाइटों की कीमत चार गुना से भी ज्यादा हो सकती है। सामान्य दिनों में दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट 2-5 हजार में बड़ी आसानी से मिल जाती है। लेकिन 25 मई को इस रूट का किराया 17 हजार से ज्यादा बताया जा रहा है।

2. सबसे ज्यादा एयरपोर्ट से ही फैला कोरोना वायरस

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस को फैलाने में एयरपोर्ट्स की भूमिका सबसे ज्यादा रही है। एयरपोर्ट में हर तरह के लोग आते हैं, ऐसा तो है नहीं की किसी के कपड़ों और चेहरे से कोरोना वायरस मुक्त होने की गारंटी दी जा सकती है। इसलिए, ऐसे में सबसे ज्यादा वायरस एयरपोर्ट से फैलने की संभावना बनी रहती है।

3. सोशल डिस्टेंसिंग नहीं

पहले ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि लॉकडाउन के बीच अगर फ्लाइट सेवा शुरु होती है तो उसमें बीच वाली सीट को खाली रखा जाएगा ताकि सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे और यात्रियों को संक्रमण से बचाया जा सकेगा। लेकिन, बुधवार रात केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि, फ्लाइटों में बीच की सीट खाली छोड़ने का सवाल ही नहीं है। ऐसे में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि, 2-3 घंटे की फ्लाइट में यात्रियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से खिलवाड़ होना लाजमी है या नहीं।

4. एयरपोर्ट से घर के बीच ट्रांसपोर्ट एक समस्या

अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो शायद आपको एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए कैब की सुविधा मिल जाए लेकिन ये जरूरी नहीं है कि जहां आप जाना चाह रहे हैं वहां भी ट्रांसपोर्ट की सुविधा होगी। बता दें कि, अभी तक देश के किसी भी राज्य ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में आपको एयरपोर्ट से घर पहुंचने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

5. एयरपोर्ट में होगी खासी दिक्कत

दिल्ली एयरपोर्ट के अधिकारियों का कहना है कि, यात्रियों की सुविधा और कोरोना संक्रमण मुक्त रखने के लिए एयरपोर्ट प्राधिकरण ने पूरी तैयारी कर ली है। मतलब, सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए एंट्री से लेकर बोर्डिंग पास तक की लाइन में 6 मीटर की दूरी का नियम तय किया गया है। इसका मतलब साफ़ है कि आपको एयरपोर्ट पर फ्लाइट तक पहुंचने में अच्छी खासी परेशानी होने वाली है।

एक्सपर्ट्स द्वारा कयास लगाए गए इन सभी वजहों पर विचार कीजिए और उसके बाद ही टिकट बुकिंग की प्रकिया को पूरा कीजिए।

लोकल को वोकल: जल्द ही लॉन्च होगा पतंजलि का यह एप, सामान डिलीवरी के अलावा यह सुविधाएं भी रहेगी फ्री

योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद, स्वदेशी वस्तुओं को बेचने के लिए अपना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Order Me’ लॉन्च करने के लिए तैयार है। पतंजलि के इस एप के लॉन्च होने के बाद माना जा रहा है कि, फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को झटका लग सकता है। उम्मीद है कि, अगले 15 दिनों के भीतर पतंजलि अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Order Me’ को लॉन्च कर देगी।

योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद, स्वदेशी वस्तुओं को बेचने के लिए अपना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Order Me’ लॉन्च करने के लिए तैयार है। कहा जा रहा है कि अगले 15 दिनों के भीतर पतंजलि अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Order Me’ को लॉन्च कर देगी।

मीडिया में आ रही रही रिपोर्ट्स के मुताबिक़, यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म 800 से अधिक पतंजलि उत्पादों की बिक्री करेगा और उपभोक्ता को भारतीय उत्पादों को बेचने वाले पड़ोस के स्टोरों से जोड़ेगा।

यही नहीं, रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी उत्पादों की डिलीवरी फ्री रहेगी और इस कुछ घंटों के भीतर ही डिलीवर किया जाएगा। इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए कस्टमर्स पतंजलि और योग ट्यूटोरियल के लगभग 1,500 डॉक्टरों से 24X7 मुफ्त चिकित्सा सलाह भी ले पाएंगे।

पतंजलि द्वारा लिया गया यह फैसला, मोदी जी के आत्मनिर्भर वाली बात कहे जाने के बाद ही लिया गया है। आपको याद होगा कि, 12 मई को देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी द्वारा देश में स्थानीय उत्पादों को खरीदने और समर्थन करने का आग्रह करने के लिए कहा गया था। उन्होंने राष्ट्र से ‘लोकल को वोकल’ करने की भी अपील की थी। साथ ही मोदी ने कहा था कि, देश में बन रहे (जैसे खादी) उत्पादों को ही खरीदें।

पतंजलि के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ऐप को नई दिल्ली स्थित पतंजलि की ही सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी भरुवा सॉल्यूशंस में डेवलप किया गया है और इसे एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफार्मों पर उपलब्ध कराया जाएगा।

पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव आचार्य बालकृष्ण के हवाले से कहा गया है कि, घरेलू उत्पादों की आपूर्ति करने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को भी इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने और इससे लाभान्वित होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

आपको बता दें कि, दो साल पहले पतंजलि ने ‘स्वदेशी’ कपड़ों के साथ ब्रांडेड परिधान स्थान में प्रवेश किया था। उस समय, कंपनी ने अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने के लिए पेटीएम, फ्लिपकार्ट, अमेज़ॅन और 1mg सहित कई ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ भागीदारी की थी। मालुम हो कि, इस समय कंपनी 45 प्रकार के कॉस्मेटिक उत्पादों और 30 प्रकार के खाद्य उत्पादों सहित 2,500 से अधिक उत्पादों का मैन्युफैक्चरिंग करती है।

स्टार्टअप कहानी: पति का वजन घटाकर आया आईडिया, अब दूसरों को घर बैठे वजन घटाने में मदद कर रही यह हेल्थ स्टार्टअप

आयुषी ने अपने पति के लिए कुछ न्यूट्रिशियस खाना तैयार की और उस भोजन की मदद से केवल 28 दिनों के भीतर ही उनका 10 किलो वजन कम हो गया। इसी के बाद दोनों को एहसास हुआ उनका यह आईडिया लोगों को पौष्टिक भोजन खाने से वजन कम करने में काफी मदद कर सकता है।

इस हेल्थ स्टार्टअप की कहानी कुछ ऐसी है जिसे जानकार आप भी इसे अपनाने को उत्सुक हो जाएंगे। दरअसल, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट आयुषी लखपति के पति कुणाल लखपति को तेज-तर्रार जीवन पसंद था जो कि लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप लॉजीनेक्स्ट में काम करने के साथ उनमें आया। लेकिन, तेजी से बढ़ती कंपनी के साथ काम करने का मतलब था रातों की नींद हराम करना, तनाव, और डेडलाइन पर काम करना। जिसका अर्थ था अनहेल्दी भोजन की आदतें और व्यायाम के लिए समय नहीं। इन सब की वजह से कुणाल का वजन बढ़ गया।

फिर, फिट होने के लिए कुणाल ने अपनी पत्नी और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट आयुषी लखपति की मदद ली। उस समय, आयुषी अधिक स्वस्थ और मजबूत बनने के तरीके के रूप में भोजन के रिप्लेसमेंट उत्पादों का उपयोग करने पर काम ही कर रही थी।

“मैंने बोला कि, आयुषी मैं अपना वजन कम करना चाहता हूँ लेकिन समय की कमी के कारण जिम नहीं जा पा रहा। मैंने उसे गाइड करने के लिए भी कहा क्योंकि मुझे न्यूट्रिशन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। और, मैं घर का खाना अपने साथ नहीं ले जा सकता था क्यूंकि मैं हमेशा यात्रा पर ही रहता था, ” – कुणाल लखपति

आयुषी ने अपने पति के लिए कुछ न्यूट्रिशियस खाना तैयार की और उस भोजन की मदद से केवल 28 दिनों के भीतर, कुणाल ने 10 किलो वजन कम हो गया। इसी के बाद दोनों को एहसास हुआ उनका यह आईडिया लोगों को केवल पौष्टिक भोजन खाने से वजन कम करने में मदद कर सकता है। जिसके बाद उन्होंने मुंबई में एक फ़ूड रिप्लेसमेंट प्रोडक्ट कंपनी, 23BMI की स्थापना की।

क्या करता है 23BMI?

23BMI मुख्य रूप से दिन के भोजन को बदलने वाले खाद्य उत्पादों को बेचती है। ये उत्पाद अनुकूलन योग्य हैं। इसे किसी व्यक्ति के ख़ास आहार के आवश्यकताओं के अनुसार बदला जा सकता है।

इन उत्पादों को सर्टिफाइड फैट लॉस एक्सप आयुषी द्वारा बनाया गया है। आयुषी पहली पीढ़ी के उद्यमियों के परिवार से ताल्लुक रखती है। स्वास्थ्य और फिटनेस में उनकी रुचि के कारण उन्हें डॉ हॉवर्ड वे (ब्रिटेन के स्वास्थ्य सेवा वेंचर) के भारत के व्यवसाय में शामिल होने का भी अवसर मिला।

किंग्स्टन यूनिवर्सिटी, लंदन से आंतरिक व्यवसाय में ग्रेजुएट और मुंबई विश्वविद्यालय से फ़ूड और न्यूट्रिशन से सर्टिफिकेट होल्डर आयुषी लखपति 23BMI में नए उत्पादों के विकास और कस्टमर रिलेशनशिप के लिए जिम्मेदार है। वह अपनी कंपनी के तेजी से बढ़ते कस्टमर आधार के लिए नए समाधानों के साथ भी आती है। फ़ूड रिप्लेसमेंट उत्पाद बनाने के अलावा, 23BMI के मंच पर न्यूट्रिशन विशेषज्ञों का एक समुदाय है जो फ़ूड रिप्लेसमेंट उत्पादों की अलग-अलग लाइनों को क्यूरेट करता है और कंपनी के ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर ग्राहकों के साथ जुड़ता है।

स्टार्टअप के रास्ते में आने वाली चुनौतियां

लॉन्चिंग से पहले इस कंपनी को जरुरी सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए भरोसेमंद मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स की पहचान करना और मानव परीक्षणों को कंडक्ट करना कंपनी द्वारा सामना की जाने वाली मुख्य चुनौतियों में से एक है।

इस दौरान, स्टार्टअप ने यह भी पाया कि हर कोई नए उपभोग्य स्वास्थ्य उत्पादों की कोशिश करने के लिए नहीं खुला है, जब तक कि उन्हें रिकमेंड नहीं किया जाता है।

“कई सारे प्रोडक्ट आधारित कंपनियां कॉन्सेप्चुअल स्टेज में ही ऑपरेशन स्टार्ट कर सकती है, बिना पूर्ण विकसित हुए , या फिर सिर्फ आंशिक रूप से विकसित उत्पाद के साथ ही संचालन शुरू कर सकती है। लेकिन, उपभोक्ता स्वास्थ्य सेवा में यह संभव नहीं है” – कुणाल

“हमें बी 2 सी वातावरण में तेजी से स्केलिंग की चुनौती को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में कस्टमर्स तक पहुंचने के लिए सही मार्केटिंग चैनल का चयन करना पड़ा। हम सही भागीदारों की पहचान कर सके जिन्होंने उत्पाद विकास के फेज को गति देने प्रोडक्ट को लॉन्च करने में हमारी मदद की।” – कुणाल

कंपनी ने इसके लिए कई फीडबैक चैनलों को प्रोडक्ट लाइन को सही रखने के लिए प्रेरित किया, और लगातार सुपरविजन करके स्वास्थ्य कोचों और ग्राहकों के बीच एक मजबूत, 24/7 संचार नेटवर्क स्थापित किया।

फिटनेस के लिए अपने तरीके से खाएं

नियमित रूप से सेवन करने के बाद 23BMI के भोजन रिप्लेसमेंट उत्पात की पूरी प्रक्रिया एक व्यक्ति को एक महीने में आठ किलोग्राम तक वजन घटाने में मदद कर सकती है, और यह काम कंपनी के स्वास्थ्य कोचों के सावधानी पूर्वक मार्गदर्शन में किया जाता है।

“हमने 200 से अधिक ग्राहकों को जिम जाने के बिना वजन कम करने में मदद की है। इससे रिवर्स्ड टाइप II डायबिटीज, पीसीओडी और थायराइड की चिंताओं को काफी कम कर दिया है” – कंपनी का दावा

भोजन की संख्या और कार्यक्रम की अवधि के आधार पर इस पैकेज की लागत 15,000 रुपये से 45,000 रुपये के बीच है।

मार्केट और इस कंपनी का भविष्य

FICCI और EY के अनुमान के मुताबिक, वेलनेस इंडस्ट्री में 2020 के अंत तक 1.5 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और अगले पांच वर्षों में 12 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है।

रिसर्च में कहा गया है कि, यह संभावित वृद्धि डिस्पोजेबल आय में वृद्धि और जीवनशैली से संबंधित बीमारियों में काफी वृद्धि से प्रेरित होगी।

यह आंकड़े 23BMI जैसी वाली कंपनी के लिए उत्साहजनक हैं, जिसने 2018 की शुरुआत से ही मासिक आधार पर लगभग 20 प्रतिशत वृद्धि देखी है। इस कंपनी ने शुरू में 20 लाख रुपये के करीब इन्वेस्ट करने के बाद इस वित्त वर्ष में 75 लाख रुपये का राजस्व कमाया।

कंपनी के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों में प्रमेय हेल्थ, आयुर यूनिवर्स जैसे स्टार्टअप शामिल हैं, और इसके अलावा कुछ अन्य जो अपने स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यक्रमों में सप्लीमेंट का उपयोग करते हैं।

हेल्थ स्टार्टअप 23BMI अब ग्राहकों के साथ अधिक से अधिक जुड़ने के लिए अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने पर काम कर रही है।

बस 50 रुपये लेकर निकले थे मंज़िल की तलाश में, आज 75 करोड़ है उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर

जब एक देहाड़ी मजदूर और उसका परिवार दो जून की रोटी के लिए तरसते हो ऐसे में उसी घर का एक लड़का अपनी अथक मेहनत से करोड़ो का साम्राज्य खड़ा कर दे तो ये सुन कर आपको विश्वास नहीं होगा । लेकिन आज की इस कहानी में जिस इंसान के बारे में जिक्र किया जा रहा है उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है।

कहते हैं कि, मन में अगर सच्ची निष्ठा और दृढ संकल्प हो फिर मंज़िल और आपके बीच में कोई भी रुकावट नहीं रहती। जरा सोचिये यदि आपसे बोला जाए कि एक दिहाड़ी मजदूर ने अपनी कठोर मेहनत से करोड़ों का साम्राज्य बना दिया, तो क्या आप यकीन करेंगे? बिलकुल नहीं। लेकिन हमारी आज की कहानी एक ऐसे ही दिहाड़ी मज़दूर के बारे में है जिसने अपनी अथक मेहनत से सफलता को परिभाषित किया है।

एक मामूली कब्र खोदने वाले के बेटे और पेशे से एक दिहाड़ी मजदूर वी पी लोबो ने खुद की बदौलत एक बड़े रियल स्टेट बिज़नेस की स्थापना कर सिर्फ छह सालों में 75 करोड़ का सालाना टर्न-ओवर किया। यह सुनकर आपको किसी चमत्कार सा लग रहा होगा लेकिन लोबो की पूरी जीवन-यात्रा बाधाओं के खिलाफ एक सकारात्मक सोच प्रेरणा से भरी हुई है।

वी पी लोबो की कंपनी को जानिए

लोबो की कंपनी टी-3 अर्बन डेवलपर्स, उच्च गुणवत्ता से युक्त सुविधाओं के साथ बजट घरों का निर्माण करती है। उनके टियर-3 प्रोजेक्ट में इंटरकॉम, वाईफाई और पुस्तकालय शामिल हैं और इस समय तक़रीबन 500 करोड़ रुपयों के मूल्य से भी ऊपर के प्रोजेक्ट उनके कंपनी के चल रहे हैं।

वी पी लोबो की कहानी

वी पी लोबो का जन्म कर्नाटक के मंगलुरू के नजदीक बोग्गा गांव के एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ। उनके माता-पिता अनपढ़ थे इस वजह से उनकी प्रारंभिक शिक्षा लोकल मीडियम स्कूल में ही हुई थी। उन दिनों उनके माता-पिता दोनों ही दिहाड़ी मजदूरी करते थे और उस समय उन्हें मजदूरी के एवज में पैसे नहीं बल्कि चावल और रोज उपयोग में आने वाले सामान दिए जाते थे। इसलिए स्कूल की फीस देने के लिए भी लोबो के परिवार के पास पैसे नहीं होते थे। कुछ लोगों की मदद से वह किसी तरह दसवीं तक पढ़ पाए।

उनके गांव से हाई स्कूल की दूरी 25 किलोमीटर दूर था। इसलिए दसवीं के बाद वह मंगलुरू चले गए। वहाँ संत थॉमस चर्च के पादरियों और नन्स की सहायता से लोबो ने संत मिलाग्रेस स्कूल से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की।

50 रुपये लेकर निकले थे मंज़िल की तलाश में

एक दिन लोबो अपने बचाये 50 रुपये के साथ, बिना घर में किसी को बताये मुम्बई निकल पड़े। बस ड्राइवर मंगलुरू का था और उसने लोबो की मदद की और उसे कोलाबा के सुन्दरनगर स्लम तक पहुंचा दिया। वहाँ वह यूपी के एक ड्राइवर के साथ रहने लगे और बहुत सारे छोटे-मोटे काम सीख गए। थोड़े पैसे कमाने के लिए वह टैक्सी धोने का काम करने लगे। दिन भर में दस गाड़ियां तक धो लेते थे और इससे उन्हें सिर्फ 20 रुपये ही मिल पाते थे।

लोबो ने एक छोटी पॉकेट डिक्शनरी से हिंदी और अंग्रेजी पढ़ना शुरू किया। इतना ही नहीं अंग्रेजी न्यूज़पेपर खरीदकर रोज पढ़ते थे। धीरे-धीरे उसने दोस्त बनाने शुरू किये और कपड़े आयरन करने लगे और इस तरह लोबो महीने में 1200 रुपये कमाने लगे। तब जाकर इन्होंने अपने घर में अपने ठिकाने की जानकारी दी और हर महीने 200 रूपये घर भेजने लगे।

वह एक समृद्ध सज्जन के कपड़े आयरन करते थे, उन्होंने ही लोबो को आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया।

वी पे लोबो ने कहा कि, “मैं कल्पना करता था कि मैं सूट और टाई पहनकर उसके जैसे एक दिन किसी ऑफिस में नौकरी करूँगा और हर दिन मजबूत होता जाऊँगा।” मुम्बई में छह महीने बिताने के बाद उन्होंने नाईट कॉलेज में जाना शुरू किया और वही से इन्होंने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री ली।

संघर्ष के दिनों को याद करते हुए लोबो बताते हैं कि,“मैं सिर्फ 4-5 घंटे ही सो पाता था, टैक्सी धोना, कपड़े आयरन करना, खाना बनाना और सफाई और फिर रात में कॉलेज जाना और पढ़ाई करना। लंच ब्रेक में पांच मिनट में खाना खाकर टाइपिंग क्लास जाता था”।

लोबो की पहली नौकरी

लोबो को उनकी पहली नौकरी जनरल ट्रेडिंग कारपोरेशन में मिली जहाँ से वैज्ञानिक प्रयोगशाला के उपकरण देश के सभी शिक्षण संस्थानों में भेजे जाते थे। इनके मालिक ने इनके सीखने के उत्साह को देखकर उन्हें सेल्स एक्सक्यूटिव की नौकरी दे दी। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पांच साल यह नौकरी करने के बाद लोबो ने इसे छोड़कर गोराडिया फोर्जिंग लिमिटेड कंपनी में रीजनल मेनेजर की पोस्ट पर काम करने लगे।

फिर 1994 में वह मस्कट चले गए और वहाँ से लौटकर उन्होंने एक रियल स्टेट कंपनी एवर शाइन को ज्वाइन किया। उसके पश्चात् उन्होंने बहुत सारी कंपनियों के साथ काम किया और 2007 में एवर शाइन ग्रुप के सीईओ बनकर मुम्बई लौट आये।

लंबे अनुभव के बाद शुरू की खुद की कंपनी

रियल स्टेट बिज़नेस के लंबे अनुभव के बाद इन्होंने 2009 में T3 अर्बन डेवलपर्स लिमिटेड नाम से खुद की कंपनी शुरु की। शुरुआती दिनों में होने वाली पूंजी की दिक्कत उनकी पत्नी के भाई ने और दोस्तों ने पूरी कर दी और बाद में उनके शेयर होल्डर्स ने और धीरे-धीरे उनकी कंपनी में बहुत सारे कंपनियों ने इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया। उनकी कंपनी के नौ प्रोजेक्ट पूरे हो चुके है जिसमे शिमोगा, हुबली और मंगलुरू के प्रोजेक्ट शामिल है।

गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए खोला एनजीओ

लोबो गरीब बच्चों के लिए एक एनजीओ भी चलाते हैं जिसका नाम T3 होप फाउंडेशन है। जिसमें गरीब बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल में पढ़ाया जाता है। इतना ऊँचा मक़ाम हासिल करने के बाद भी लोबो अपने पुराने दिनों को नहीं भूलते। अपनी जड़ों से जुड़े इस रियल हीरो की कहानी सच में बेहद प्रेरणादायक है।

आपको वी पी लोबो की यह प्रेणादायक कहानी कैसी लगी, नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें जरुर बताएं। हम आपके लिए और भी ऐसी ही प्रेणादायक और नए-नए स्टार्टअप की स्टोरी लाते रहेंगे, बने रहें हमारे साथ। और हाँ, इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें।

18 Year Old Set Up Football Academy In Surat

Khushi had already decided that she wanted to become an entrepreneur. She joined the Young Entrepreneurs Academy (YEA!) and travelled to Mumbai on Saturdays for 20 weeks to attend classes at The Cathedral and John Connon School. She started the academic after noting the lack of facilities for football training in her hometown Surat.

Khushi Shah, an 18 year old national-level football player has started ‘Surat City United’ along with her cousin Prem Shah to train aspiring footballers.

Her academy has until now trained more than 250 players and charges training fees from players and for the tournaments they organise twice a year. Until now, the revenues have crossed Rs 5 lakh.

Khushi had already decided that she wanted to become an entrepreneur. She joined the Young Entrepreneurs Academy (YEA!) and travelled to Mumbai on Saturdays for 20 weeks to attend classes at The Cathedral and John Connon School.

She started the academic after noticing the lack of facilities for football training in her hometown Surat. Most of the time, she was the only girl on the field, and there were no dedicated football academies in Surat for her to train. She was determined to change this, and offer budding talent the opportunity to train and move forward.

“My grandfather was a successful entrepreneur, and, despite that, my father decided to start on his own, and is now well established at what he does. What inspired me to start Surat City United was a perfect mix of my passion for football and an entrepreneurial itch to capitalise on the market demand and to give to Surat what I didn’t get,” says Khushi.

“Having a passion for football has numerous benefits, starting with fitness and health, character building, being part of a team, coordination, discipline, and respect,”she added.

First COVID-19, and now WeWork is giving hard time to Indian startups

COVID-19 pandemic have shaken up the global economy and young Indian startups is no exception. They are going through very hard time right now. Several young Indian startups are now facing a death knell due to contractual technicalities and indifference from co-working major WeWork.

COVID-19 pandemic has wreaked havoc over the global economy. The worst sufferers are young Indian startups who have been going through quite a hard time. There are many young Indian startups which have been facing several issues because to contractual technicalities and indifference from WeWork.

Just about a few weeks and a global pandemic that the strategy became a deterrent for customers and a also becoming a big liability where the company has no scope for any further setbacks. Most of WeWork offices are open, however, there are hardly people coming in than before.

WeWork customers are required to pay 30% of the rent during the lockdown period which was started on March 25, 2020. This does not mean that customers are getting a discount of 70% in the rent but WeWork is offering to give a credit equivalent of 70% to their existing contracts. Therefore, customers will continue paying the entire amount of monthly rent despite not using the co-working space. After the lockdown ends and things stablize, WeWork will add the extra days to their contracts which is equal to 70% of the rent for the days its offices remain shut.

With all the current loss in the business for the startups, WeWork is adding to the hard time and taking rent despite the offices are closed. If this continues, many of the startups will face a huge loss and in the verge of closing.

Sachin Bansal, Flipkart Co-founder appointed as Managing Director of Venture Navi Technologies

Sachin Bansal has made several investments into companies and start-ups such as Altico Capital, U Gro Capital, IndoStar Capital, Vogo, Bounce, KrazyBee, Ola, Bansal attended Indian Institute of Technology Delhi and completed a degree in Computer Engineering in 2005. After graduation, Bansal worked at Techspan for a few months and later in 2006 he joined Amazon Web Services as a Senior Software Engineer.

Sachin Bansal has been appointed as the Managing Director of his second Bengaluru-based Fintech venture– Navi Technologies earlier known as BACQ. He recently led an over Rs 3,000 crore round in his new venture. He co-founded Navi Technologies with Ankit Agarwal. Navi Technologies had earlier acquired a majority stake in Chaitanya Rural Intermediation Development Services (CRIDS) that is into the micro-finance space.

His giant size investment in the FinTech sector is an indication of an upcoming revolution in this specific industry. It includes investments into companies such as Altico Capital, U Gro Capital, IndoStar Capital, and the acquisition of mutual fund business of Essel Group.

Many of the high net-worth individuals and venture funds have invested in Navi Technologies. Recently, Gaja Capital had invested Rs 204 crore.

Sachin Bansal is most known as the co-founder of the e-commerce giant, Flipkart. However, in the year 2018, when Walmart acquired Flipkart, Bansal exited the company. Moreover, since the year 2014, Sachin Bansal has invested in 18 startups with teh deal size being 1-2 million dollars. In fact, in the year 2019, he invested 100 million dollars in Ola cabs wherein he received a stake of 0.37%.

As on february 2019, Sachin Bansal has already had investments in Unacademy, TeamIndus, Ola, Grey Orange, In Shorts, SigTuple, and Ather Energy.

Mukesh Ambani slips 12 spots on Forbes billionaires list

Ambani is no longer the tenth richest man in the world or even Asia’s richest man. He lost this title of Asia’s richest man to Alibaba founder and Chinese billionaire. Mukesh Ambani is now the world’s 21st richest person after slipping 12 spots from his previous rank in 2019. However, he continues to be the richest person in India.

India’s richest man has lost his place amongst the top 10 richest billionaires in the world as Covid-19 wiped off Indian stock markets.

Ambani is no longer the tenth richest man in the world or even Asia’s richest man. He lost this title of Asia’s richest man to Alibaba founder and Chinese billionaire Jack Ma who is worth $38.8 billion, according to Forbes.

Mukesh Ambani has now become the world’s 21st richest person after slipping 12 spots from his previous rank in 2019. However, he continues to be the richest person in India.

The sudden fall in Ambani’s wealth is because of the coronavirus pandemic. In fact, one in every two rich people on the planet have lost their wealth as compared to last year due to coronavirus.

Meanwhile, Amazon founder Jeff Bezos is the richest person despite parting with a massive fortune due to his divorce. Microsoft co-founder Bill Gates is the second wealthiest with $98 billion fortunes and French fashion mogul Bernard Arnault is the third richest with $76 billion of fortunes.

The Ambanis however took advantage of the immense meltdown in stock prices to increase stake in the company, Reliance Industries. His net worth saw a marginal increase after the Ambani family — Mukesh and Nita Ambani and their three children — raised stake.

RIL’s shares — which have been trading above ₹1000 a piece — saw a 39% decline in March during the massive sell off triggered by Coronavirus. However, the share price regained the market after the company board, an oil-to-telecom-to-retail conglomerate with a market cap of $90 billion.

Gaja Capital invests Rs 204 crore in Navi Technologies

Navi Technologies has made allotments of 1.45 crore equity shares, at a price of ₹140.5 per share. Three entities belonging to Gaja Capital, including Gaja Capital Fund-II, GCFII-B and Gaja Capital India AIF Trust have received the allotments. The latest private placement follows a fundraising of over Rs 3,000 crore by the company, led by Bansal and other investors earlier this month.

Sachin Bansal’s financial services startup Navi Technologies has raised ₹204 crore in fresh equity capital from Mumbai-based private equity firm Gaja Capital and other ultra-rich individual investors.

Co-Founder of Flipkart, Bansal is now also the managing director of Navi Technologies. Bansal has already invested over half of his wealth from Flipkart’s exit on Navi.

Bengaluru-based Navi Technologies has made allotments of 1.45 crore equity shares, at a price of ₹140.5 per share. Three entities belonging to Gaja Capital, including Gaja Capital Fund-II, GCFII-B and Gaja Capital India AIF Trust have received the allotments.

The latest private placement follows a fundraising of over Rs 3,000 crore by the company, led by Bansal and other investors earlier this month. It is, however, unclear if Gaja Capital’s investment is part of the same preferential allotment.

The firm Navi Technologies is not yet disclosing much about its future expansion plans rather than explaining their services. They are highly focussed on making financial services more simple, affordable and feasible for customers. Their website also gives the space and invite people to join in for their initiative.

Gaja Capital, promoted by Gopal Jain, has bets in Chumbak, Avendus Capital and Carnation, among others. The investment in Navi is part of a larger round, mostly subscribed by promoter Bansal.

Bansal has completed his education from well know IIT Delhi. Kickstarted his professional career early. He was previously working with Amazon web services and then joined Flipkart. Gradually became the CEO at Flipkart, he worked there for a total span of more than 10 years.

Services Allowed During Lockdown 2.0

Lockdown implemented to contain the spread of the novel coronavirus has been extended till May 3. The Ministry of Home Affair has issued detailed guidelines regarding services that’ll remain operational and those not.

Lockdown implemented to contain the spread of the novel coronavirus has been extended till May 3. The Ministry of Home Affair has issued detailed guidelines regarding services that’ll remain operational and those not.

Some conditional relief may be seen in areas that are not hotspots for the novel coronavirus from April 20. Originally, the 21-day nation-wide lockdown was to end on April 14 but considering the rising number of cases, especially in Delhi, Maharashtra and Tamil Nadu, a majority of states agreed to extend the lockdown.

WHAT’S OPEN DURING LOCKDOWN 2.0

  1. All kinds of essential services. These services include all health workers (doctors, nurses, hospital staff, and sanitation workers.)
  2. Media persons belonging to print and electronic media (though they too can’t enter the containment zones, also known as hotspots.)
  3. Homes of children, disabled, mentally challenged or senior citizens, women.
  4. Movement, loading or unloading of goods cargo (both inter or intrastate)
  5. MNREGA works are allowed with strict implementation of social distancing and use of face mask.
  6. Hotels, homestays, lodges and motels.
  7. Services provided by self-employed people, including electrician, IT repairs, plumbers, motor mechanics and carpenters will also remain operational.
  8. Industries in rural areas, SEZs, and EOU zones, units making essential goods, food processing units, IT hardware companies, coal production will be allowed to function.
  9. Construction of roads, irrigation projections, buildings and all kinds of industrial projects, including MSMEs, in rural areas and construction of renewable energy projects will be allowed.
  10. Government will also ease restrictions for farmworkers (since the rabi crop harvest season has started in states like Punjab, Haryana and Uttar Pradesh.)
  11. All security personnel, including police and security forces, are also exempted from the lockdown.
  12. All kinds of essential service agencies, including cook gas agencies, fuel pumps, ration shops, wholesale and retail shops and vegetable mandis will remain open.
  13. Pathology labs will also be allowed to operate amid the lockdown.
  14. Goods trucks carrying goods — weather or not essential goods — within states and outside states will be allowed to operate during the extended lockdown period.
  15. During a televised address to the nation on Tuesday, Prime Minister Narendra Modi said India might have to pay a big economic price for the lockdown but there was no alternative to saving human lives.

Flipkart and Amazon prepare for sales in May, Soon After Lockdown

Flipkart and Amazon have asked their partnered brands and sellers to stock up for the post lockdown sales. They are expecting that many people are waiting to buy non-essential goods post lockdown. The demand for these non-essential goods is immensely high at the moment.

To cope up with the economic loss during the nationwide COVID-19 lockdown, Flipkart and Amazon have decided to put up mega online sales in May.

Flipkart and Amazon have asked their partnered brands and sellers to stock up for the post lockdown sales. They are expecting that many people are waiting to buy non-essential goods post lockdown. The demand for these non-essential goods is immensely high at the moment.

To avail the maximum benefit and recover from the loss of lockdown, they are planning to reduce the discounts.

Brands now know that, after the quarantine, customers will be looking for the availability of products rather than discounts. The new sales will not be based on cuts rather than they will be based on high demand.

Due to the Coronavirus pandemic, people are shifting to online platforms for buying groceries and other things. Therefore, a significant boost in E-commerce growth is expected.

Avneet Singh, chief executive of SPPL, which makes Kodak and Thomson smart televisions, said that e-commerce marketplaces have witnessed new consumers in the age group of mid-thirties are ordering products online for the first time. Singh believes that these new consumers will help boost online sales after the restrictions are lifted.

So far, Odisha is the state to allow all e-commerce platforms, such as Flipkart, Amazon, BigBasket, Grofers, Swiggy and Zomato, along with their third-party logistics partners, to resume operations during the second phase of the lockdown. Learning from Odisha, other states and central authorities are expected to take similar actions.

Agritech platform DeHaat raises $12M in Series A led by Sequoia Capital

It is indeed a proud moment for startup ecosystem of Bihar. Agritech platform DeHaat has raised Series A funding of $12 million led by Sequoia Capital.

Agritech platform DeHaat has raised Series A funding of $12 million led by Sequoia Capital. DeHaat was founded in 2012 by IIT, IIM, and NIT alumni Shashank Kumar, Amrendra Singh, Adarsh Srivastav, Shyam Sundar Singh, and Abhishek Dokania.

It is a technology-based platform offering full-stack agricultural services to farmers, including distribution of high quality agri inputs, customised farm advisory, access to financial services, and market linkages for selling their produce.

DeHaat eases the burden on farmers by bringing together brands, institutional financers and buyers on one platform.

It had earlier raised a $4 million pre-Series A round in March 2019, led by Omnivore and AgFunder, which was topped up in May 2019 with an additional $3 million of venture debt from Trifecta Capital.

Shashank Kumar, Co-Founder and CEO of DeHaat, said: “We are excited to partner with Sequoia India and FMO as we drive towards one million farmers on the DeHaat platform. Sequoia’s deep expertise in B2B platforms and technology products, combined with FMO’s expertise in agricultural value chain financing, will help DeHaat accelerate its growth while delivering massive impact for the farmers we work with.”

DeHaat does not charge any fee for its advisory, but takes a cut whenever farmers use its platform to buy agri-inputs or sell their crop yields.

The company today operates in 20 regional hubs in the eastern part of India — states such as Bihar, Uttar Pradesh, and Jharkhand and serves more than 210,000 farmers.

कोरोना संकट और लॉक डाउन में Google का कमाल, ऐसे कर रहा है परेशान और भूखे लोगों की मदद

गूगल के इस नए फीचर का उद्देश्य कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से प्रभावित नागरिकों की मदद करना है। फिलहाल, यह अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है। हालांकि, इस पर काम चल रहा है, ताकि इसका इस्तेमाल हिंदी भाषा में भी किया जा सके।

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और अब इनकी संख्या 4000 के पार चली गई है। कोरोना को देखते हुए देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन लागू है। इसकी वजह से गांवों, कस्बों और शहरों में लोगों की जिंदगी बाधित हुई है, लोगों की आजीविका और यातायात पर हुए असर की वजह से बहुत से मजदूर जो बेहतर जिंदगी की तलाश में शहर आए थे, वे या तो पैदल घर जाने लगे हैं या फिर उनके पास खाने को नहीं है।

नया फीचर लाया Google

ऐसे लोगों की मदद के लिए गूगल ने अपने मैप्स और सर्च के साथ गूगल असिस्टेंट में भी नया फीचर ऐड किया है। जहां आपको भारत के 30 शहरों के पब्लिक फूड शेल्टर और नाइट शेल्टर यानी रैन बसेरों का पता चल जाएगा।

गूगल मैप के इस नए फीचर का उद्देश्य COVID-19 यानी कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन से प्रभावित नागरिकों की मदद करना है। फिलहाल, यह अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है। हालांकि, इस पर काम चल रहा है, ताकि अंग्रेजी के साथ-साथ इसका इस्तेमाल हिंदी भाषा में भी किया जा सके।

इसके लिए बस आपके फोन में गूगल मैप्स ऐप होना चाहिए, जिसपर आप अपने नजदीकी फूड शेल्टर और रैन बसेरों को सर्च कर सकते हैं। इसका लाभ आप KaiOS आधारित फीचर फोन पर भी उठा सकते हैं, जैसे कि जियो फोन। गूगल ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी है, कंपनी ने बताया कि इसके लिए वह MyGovIndia के साथ काम कर रही है।

कैसे करें इसका इस्तेमाल?

इसका इस्तेमाल करना भी बेहद आसान है। जिसके लिए आपको गूगल मैप्स, गूगल सर्च या फिर गूगल असिस्टेंट पर जाकर, Food shelters in <शहर का नाम> या Night shelters in <शहर का नाम> डालकर सर्च करना है। रिजल्ट आपको तुरंत दिखाया जएगा। शुरुआती रूप में यह सुविधा अंग्रेजी भाषा में ही है, लेकिन आने वाले दिनों में जल्द ही आप इसके लिए हिंदी भाषा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

कंपनी ने यह भी कहा कि वह जल्द ही एक क्विक एक्सेस शॉर्टकट शामिल करेगी। जो कि सर्च बार या पिन के नीचे दिया होगा जिससे लोगों को Maps पर फूड और नाइट शेल्टर की जगह का पता लगाने में आसानी होगी।

जरूरतमंद लोगों के पास नहीं हैं स्मार्टफोन्स, फिर कैसे..?

यह पहल इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि सभी लोगों की खाने और शेल्टर की पहुंच रहे। क्योंकि बहुत से जरूरतमंद लोगों के पास स्मार्टफोन्स या मोबाइल का एक्सेस नहीं हो सकता है। इसके अलावा, जिन लोगों को फूड शेल्टर या फिर रैन बसेरों की जरूरत पड़ती है, उनमें से ज्यादातर लोगों स्मार्टफोन यूज़र्स नहीं होते हैं, गूगल ने इस बात का भी ध्यान रखा और यह पुख्ता किया कि यह सुविधा हर जरूरतमंद तक पहुंचे, इसके लिए गूगल ने इस सुविधा को जियो फोन जैसे फीचर फोन के लिए भी ज़ारी किया है। मालूम हो कि, जियो फोन में गूगल असिस्टेंट एक्सेस उपलब्ध होता है।

गूगल इंडिया के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अनल घोष का कहना है कि जरूरतमंदों तक इस सुविधा की जानकारी पहुंचाने के लिए एनजीओ, ट्रैफिक अथॉरिटी, वॉलेनटियर्स का सहारा लिया जा रहा है, ताकि यह जरूरी सुविधा हर जरूरतमंद तक पहुंचे जिसके पास स्मार्टफोन एक्सेस न हो। गूगल इसमें न केवल ज्यादा भाषाओं को शामिल करने पर काम कर रही है बल्कि आने वाले दिनों में इसमें और शहरों के शेल्टर्स को जोड़ा जाएगा।

कंपनी ने कोरोना से संबंधित कई कदम लिए

कोरोना वायरस की महामारी के दौरान गूगल ने अपने स्तर पर कई ऐसे कदम लिए हैं जिससे इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि लोग बीमारी के बारे में जागरूक हैं और उनके पास अपने स्तर पर इसके खिलाफ लड़ने के लिए जरूरी जानकारी है।

टेक कंपनी ने अलग से वेबसाइट बनाई है जिसमें केवल विश्वसनीय जानकारी है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और दुनिया भर की स्थानीय स्वास्थ्य अथॉरिटी से ली गई है, जिससे लोगों को बीमारियों के बारे में कोई गलत जानकारी न मिले।

WEFT helping women set up and scale their businesses

Woman Entrepreneurs for Transformation (WEFT) created by Iti Rawat is a NGO to provide support and a networking platform for women entrepreneurs. With WEFT, Iti is able to aid women to pursue their entrepreneurial dreams.

Woman Entrepreneurs for Transformation (WEFT) created by Iti Rawat is a not-for-profit organisation to provide support and a networking platform for women entrepreneurs

With WEFT, Iti is able to aid women to pursue their entrepreneurial dreams. 

“There are not enough incubators dedicated to women. Venture capitalists and investors see them from gender-biased lenses; they are not given equal opportunities. They are also expected to take care of the household and look after their children while running their startups, whereas their male counterparts are expected to only take care of their business,” she explains. 

Started in August 2018, WEFT has over 1,000 women entrepreneurs in its network. 

WEFT organises events such as open mics, speak-up events, marketing events, and pitching competitions to help entrepreneurs get funding and network with investors and like-minded people for growth opportunities. It also helps them build a network of clients, referrals, and vendors, and share their ideas and resources

Apart from events, WEFT highlights and recognises women entrepreneurs through video blogs and series, and awards and recognition. 

Women entrepreneurs can become a member of the network by paying an annual membership of Rs 5,000, and access to all the resources, events and opportunities provided by WEFT. 

“We are working towards a sustainable development goal of 50:50 gender equality in startups. This will take all-round development, starting from awareness building to recognition and rewards,” Iti says. 

Iti was awarded the ‘Social Leader of the Year’ award by the Indian Business Women group in 2019. 

भारतीय बैंकों के लिए कोरोना संकट बनी नोटबंदी से बड़ी चुनौती

कोरोना से कारोबार बंद होने की स्थिति में आने वाले समय में छोटी कंपनियों और कारोबारियों के डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में कोरोना संकट बैंकों के लिए नोटबंदी से बड़ी चुनौती बन सकता है।

आज कोरोना आपदा वैश्विक आधार ले चुकी है। भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। दुनिया के शक्तिशाली देश भी इस वायरस के आगे लाचार दिखते हैं। उत्पादन ह्रास, सामाजिक संत्रास, और आर्थिक मंदी विभीषिका का रूप ले चुके हैं। दुनिया ने सोचा ही नहीं था कि प्रगति के नाम पर ऐसे सर्वाधिकार प्राप्त देश वैश्विक आपदा पैदा करके विश्व को प्रलय (महाविनाश) का बोध करा देंगे। कोरोना ने मानव के विकास की पांच मौलिक आवश्यकताओं – स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, सम्पोषण एवं संप्रेषण को पूर्णतः ठप कर दिया है। साथ ही, इससे आर्थिक सुस्ती बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है।

कोरोना संकट से आर्थिक सुस्ती बढ़ने की आशंका के बीच भारतीय बैंकों के लिए नकदी का इंतजाम मुसीबत साबित हो सकता है। रिजर्व बैंक ने तीन माह तक ईएमआई टालने का निर्देश दिया है। जबकि, कोरोना से कारोबार बंद होने की स्थिति में आने वाले समय में छोटी कंपनियों और कारोबारियों के डिफॉल्ट की आशंका बढ़ गई है। ऐसे में कोरोना संकट बैंकों के लिए नोटबंदी से बड़ी चुनौती बन सकता है।

लगने वाले झटके का आकलन कर रहे बैंक

कितने कर्जदार कर्ज के भुगतान पर लगी पाबंदी का फायदा उठाने वाले हैं। बैंकर्स के लिए यह एक बड़ा सवाल है, जिससे वे जूझ रहे हैं। यदि कर्जदारों ने ब्याज और ईएमआई नहीं चुकाई, तो काफी बुरा असर पड़ सकता है। यदि बड़ी संख्या में कर्जदारों ने ईएमआई नहीं भरी, तो रिजर्व बैंक के इस कदम से मांग की आपूर्ति कर पाना कठिन होगा। 3 माह तक कर्ज की ईएमआई नहीं मिलने से बैंकों की आय पर असर पड़ने कई आशंका लगाई जा रही है।

बैंकों के पास ब्याज ही आय का जरिया

बैंकों की आमदनी कर्ज पर मिलने वाला ब्याज से होती है। जमाओं पर ब्याज और कर्ज पर मिलने वाले का मामूली अंतर ही बचता है। बैंक अभी एफडी पर करीब 5.75 प्रतिशत ब्याज दे रहे हैं। जबकि करीब 7.75 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज दे रहे हैं। इस दो फीसदी के अंतर में भी खर्च काटकर बैंकों के पास एक फीसदी से भी कम बचता है।

बैंकों को आरबीआई से मदद की दरकार

विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा स्थिति उन बैंकों के लिए गंभीर है, जिनका कर्ज जमा (सीडी) अनुपात अधिक है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक को बैंकों को कर्ज देने के विषय में सोचना पड़ेगा। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था में नकदी का बड़ा संकट पैदा हो सकता है।

म्यूच्यूअल फंड उद्योग के लिए बड़ा अवसर

ब्याज घटने और शेयर बाजार में गिरावट से निवेशक म्यूचुअल फंड की ओर जा सकते हैं। मौजूदा हालात में अभी म्यूचुअल फंड के इक्विटी फंड में निवेश करने से निवेशकों को बचना चाहिए। निवेश से पहले जोखिम, क्षेत्र की स्थिति जरूर देखें।

घबराहट में एफडी को तोड़ना समझदारी नहीं

एफडी पर ब्याज घटने के बावजूद किसी घबराहट में उसे समय से पहले खत्म करने से परहेज करें। एक्सपर्ट का कहना है कि एफडी हर हाल में सुरक्षित है। ऐसे में एफडी बीच में खत्म करने और उसे शेयर बजार या किसी अन्य वित्तीय उत्पाद में निवेश करने से बचें।

दुनियाभर में तेजी के साथ फैल रहे घातक कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसके चलते वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग और आपूर्ति दोनों पर असर पड़ा है। अनुमान लगाया जा रहा कि, इससे भारतीय बैंकों को नोटबंदी से भी अधिक असर पड़ सकता है।